कुछ दिनों पहले जब सुब्रमण्यम स्वामी ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी ( जे एन यु ) पर कहा की ” जे एन यु के विद्यार्थी और अध्यापक नक्सली है और यंहा पर बीएसऍफ़ को तैनात कर देना चाहिए” । उनके इस बयान पर अन्य विपक्षी दलों की टिप्णी बिना देर किये आई परन्तु 9 फरवरी 2016 को जे एन यु में अफजल गुरु की बरसी मनाई गई। पाकिस्तान जिंदाबाद , लड़कर लेंगे आजादी , कश्मीर मांगे आजादी, कितने अफजल मारोगे, हर घर से अफजल निकलेगा , जैसे नारे लगे परन्तु किसी भी विपक्षी पार्टी के नेता ने इस पर कोई बयान नहीं दिया।
अब सवाल उठता है जे एन यु में ये भारत विरोधी नारे लगते रहे तो वंहा के अधिकारी क्या कर रहे थे । जे एन यु के वाइस चांसलर ने क्या कदम उठाए। क्या इतना कह देना काफी है कि अनुमति सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए ली थी इसलिए पता नहीं था जैसे ही पता चला कार्यक्रम रद्द कर दिया। इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाले विद्यार्थी अभी भी खुले घूम रहे है और कार्यक्रम सफलता पूर्वक आयोजित करने के लिए एक दूसरे को बधाई दे रहे है। क्या इन विद्यार्थियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं होनी चाहिए ? क्या यह कार्यक्रम पहली बार मनाया गया है? नहीं, ऐसे कार्यक्रम जेएनयु में पहले भी होते रहे है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि ये बात इस स्तर पर जनता के सामने आई है।
उमर खालिद जिसने इस कार्यक्रम को आयोजित किया और कह्नैया कुमार जिसने इसे समर्थन दिया। अलग-अलग मंच पर जाकर इसे न्यायोचित ठहरा रहे है। अफजल गुरु जो कि जो 13 दिसंबर 2001 में संसद पर अटैक का अपराधी था। भारतीय उंच न्यायालय ने जिसे फांसी की सजा दी उसके पक्ष में नारे लगा रहे है। उसे शहीद बता रहे है तो वो 6 लोग कौन थे ? जिन्होंने संसद को बचाने के लिए अपनी जान गवा दी। क्या कभी उनके पक्ष में नारे लगे ? क्या कभी उनकी बरसी मनाई गई ?
अब सवाल यह है कि ये लोग जो आतंकवादियों को शहीद बता रहे है । भारत के टुकड़े करने की बात कर रहे है। पाकिस्तान जिन्दा बाद के नारे लगा रहे है। उंच न्यायालय के निर्णय पर सवाल उठा रहे है। अफजल गुरु की फांसी को ज्यूडिशियल हत्या बता रहे है। क्या विद्यार्थी हो सकते है ? नहीं यह सब राजनीती के मोहरे है और यह सब हो रहा अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर। क्या अभिव्यक्ति की आजादी हमे अपने देश के दुकड़े करने का अधिकार देती है ? क्या अभिव्यक्ति की आजादी हमे कश्मीर को भारत से अलग करने की आजादी देती है? इस अभिव्यक्ति की आजादी के मुखोटे के पीछे कुछ गद्दार लोग बैठे है।
इसके पीछे हिन्दुओ के एक वर्ग को काटने की भी साजिश चल रही है। ये एक बहुत बड़ी साजिश है जो आने वाले समय में सबके सामने होगी। हो सकता है, कुछ लोग इसे अभी गंभीरता से न ले।
#ShutDownJNU
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