किसान आंदोलन को अराजक बनाते वामपंथी

मेरी बात

विचार डेस्कः वर्ग संघर्ष में यकीन रखने वाले वामपंथी और कुछ विपक्षी दल किसान आंदोलन को अराजक बनाने की भरसक कोशिश में हैं। किसान आंदोलन की आड़ में ये वामपंथी यहां तक कहते सुने जा सकते हैं कि अगर कोर्ट भी आपकी बात न सुने तो कोर्ट के आदेश की भी अवहेलना करो, उसके खिलाफ विद्रोह करो। क्योंकि कोर्ट भी सरकार की है। आज हम आपको ऐसे ही वामपंथियों का चेहरा और मानसिकता उजागर करेंगे। जिनकी सोच, राजनीतिक निष्ठा और मंशा का आप खुद उनकी वीडियों को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं। यहीं लोग किसानों के सामने व्यापारियों को दुश्मनों की तरह पेश करने में लगे हुए हैं। इसी का नतीजा है कि पंजाब में 24 घंटे के भीतर रिलायंस कंपनी के 1600 से ज्यादा टेलीकॉम टॉवरों को तोड़ दिया गया। एक मजूबत देश के लिए किसान और व्यापारी दोनों का मजबूत होना जरूरी है।

वीडियों में दिख रहा भानू प्रताप सिंह नाम का यह वामपंथी खुद को सुप्रीम कोर्ट का वकील बताता है। इसकी राजनीतिक पार्टी का नाम है राष्ट्रीय जनहित संघर्ष पार्टी। एंटी सीएए आंदोलन और राम मंदिर पर यह वामपंथी खुद ही अपना दोहरा चरित्र उजागर कर देता है। मंदिर और मस्जिद पर इस शख्स के दौहरे विचार इसकी घटिया मानसिकता को ही उजागर करते हैं। SFI (Student Fedration Of India) जैसे वामपंथी छात्रों के लिए किसान आंदोनल अपना एजेंडा बढ़ाने का केंद्र बन चुका है।

किसान आंदोलन की मौजूदा स्थिति

किसान आंदोलन को आज 42 दिन हो चुके हैं। कड़ाके की ठंड में अपनी मांगो को मनवाने के लिए किसान दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। वहीं सरकार किसानों को तीनो कृर्षि बिल के फायदे गिनाने में लगी हुई है। साथ ही बिल के जिस क्लॉज पर किसानों को आपत्ति है, उस पर बदलाव को भी सरकार राजी है। लेकिन बिल रद्द नहीं होंगे यह भी स्पष्ट कर चुकी है। छठे दौर की वार्ता में किसानों और सरकार के बीच कुछ मुद्दों को लेकर सहमति बनी थी। वह 8वें दौर की वार्ता में नहीं दिखी। अगली बैठक 15 जनवरी को तय की गई है। किसानों मोर्चे ने सख्त रुख दिखाते हुए गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली निकालने की घोषणा कर दी है।

( लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)

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