Khattar Sarkar को भारी पड़ सकती है कोर Voters की नाराजगी

Manohar Lal Khattar

विचार डेस्क: राजनीतिक क्षेत्र में धारणा या छवि काफी मायने रखती है। इसी छवि या धारणा के आधार पर चुनावों में जनता सरकारें चुनती है। चुनी हुई सरकारों से जनता अपने हितों को साधने की कोशिश करती है। यही हित-अहित चुनावों में मुद्दे के रूप में उभरते हैं। इन्हीं मुद्दों को लेकर विपक्षी पार्टी सत्ता […]

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Fire in Kasganj: अच्छी मौत नसीब से मिलती है…

fire in Kasganj

व्यंग्य डेस्कः बरसात की खुशखबर पूरी तरह सुन भी नहीं पाए थे कि कासगंज में 75 परिवारों के जिन्दा जलने की खबर ने आंख के आंसू सोख लिए। बेमौसम बरसात की तरह तुम फैक्ट्री में धुंआ-धुंआ हो गए? तुम्हें जरा भी शर्म नहीं आई कि यह मौसम जलने का नहीं है। इस भारी गर्मी में […]

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Target Killing in Kashmir: 1990 की याद दिला रही हैं जम्मू-कश्मीर में टार्गेट किलिंग

Vijay Kumar

विचार डेस्कः कश्मीर घाटी में आतंकी संगठन एक बार फिर से अपने पांव पसार रहे हैं। आतंकियों के निशाने पर कश्मीरी हिन्दू विशेषकर कश्मीरी पंडित हैं। हालांकि जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 व 35ए को मोदी सरकार ने हटा दिया था। उस समय संसद में सत्ता पक्ष ने राज्य से पूरी तरह […]

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Hijab Row: ड्रेस कोड विवाद बना दिया गया, धार्मिक पहचान का मुद्दा

hijab row

विचार डेस्कः भारतीय संस्कृति में शास्त्रार्थ की परंपरा रही है। इंसान हो या भगवान, कोई भी आलोचना से परे नहीं रहा। लेकिन वामपंथियों ने जब से इस देश में जड़े जमाई हैं। उन्होंने स्वस्थ आलोचना का गला घोट दिया है। सार्वजनिक जीवन में मतभेद नहीं बल्कि अब मनभेद जन्म ले रहा है। मैं ही सही […]

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आंदोलन को धार देने के लिए अम्बेड़कर की तस्वीर लगाएंगे, पर उनका कहा नहीं बताएंगे

25 नवंबर, 1949 को बाबा साहेब ने संविधान सभा में कहा था, कि हमें संवैधानिक तरीके से सामाजिक और आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहिए। इसका अर्थ है कि हमें सविनय अवज्ञा, असहयोग और सत्याग्रह के मार्ग को छोड़ देना चाहिए।

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तर्क कम भावनाएं अधिक हावी हैं किसान आंदोलन में

एडिटोरियल डेस्कः किसान आंदोलन को आज 84 दिन से अधिक बीत चुके हैं। लेकिन सरकार और किसानों के बीच कई दौर की वार्ता होने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला है। 26 जनवरी को लाल किले पर खालिस्तानी झंडा लहराने के बाद जनता में भी किसान आंदोलन के प्रति सहानुभुति में कमी आई है। […]

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विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र शर्मसार, लेकिन गलती किसकी?

एडिटोरियल डेस्कः इस बार का गणतंत्र दिवस इतिहास के काले पन्नों में दर्ज हो गया है। राष्ट्रीय पर्व के दिन किसानों के भेष में शामिल कुछ अराजक तत्वों ने ट्रैक्टर रैली को लेकर पैदा हुई सुरक्षा बलों की शंकाओं को सही साबित कर दिया। ट्रैक्टर रैली निकालने पर अड़े किसान संगठनों ने दिल्ली पुलिस को […]

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हिंदी, हिंदू और हिंदुस्तान के विरोध पर पनपता सेकुलरवाद

विचार डेस्कः वामपंथी इस देश का कोढ़ है। कोढ़ जहां पनपता है उसी को गला-सढ़ा देता है। आजादी के वक्त इस कोढ़ के जिम्मे देश को शिक्षित करने की बागडोर आ गई। वहां, हमारे इतिहास को कोरी कल्पना बताया गया और कल्पना को इतिहास। उसके बाद इन्होंने बॉलीवुड में पकड़ बनाई। वहां, वापंथियों ने बनाए […]

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सिखो के नरसंहारक को राष्ट्रनायक मानता है पाक, उसी की गोद में बैठे खालिस्तानी रचते हैं साजिश

विचार डेस्कः भारत में इन दिनों फॉग और किसान आंदोलन दोनों चल रहे हैं। खास बात यह है कि इसमें खालिस्तानियों, मोदी विरोधियों, वामपंथियों और विपक्ष का तड़का लग चुका है। तेज आंच पर पक रहे इस आंदोलन को ईंधन पाकिस्तान और कनाड़ा से खूब मिल रहा है। मजे की बात ये कि इस बात […]

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सवाल तो उठेंगे ही, जवाब भले ही न दें किसान नेता

एडिटोरियल डेस्कः किसान आंदोलन को 51 दिन बीत चुके हैं। लेकिन इन 51 दिनों में किसान आंदोलन के बदलते रंग मन में सवाल खड़े करते हैं। खालिस्तान जिंदाबाद, हाय-हाय मोदी मर जा तू, देशद्रोह के आरोपितों को छोड़ने की बात, खालिस्तानी आतंकियों के नाम से लंगर, उनसे जुड़ा साहित्य खुले रूप से बिकना, मोदी को […]

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