आंदोलन को धार देने के लिए अम्बेड़कर की तस्वीर लगाएंगे, पर उनका कहा नहीं बताएंगे

25 नवंबर, 1949 को बाबा साहेब ने संविधान सभा में कहा था, कि हमें संवैधानिक तरीके से सामाजिक और आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहिए। इसका अर्थ है कि हमें सविनय अवज्ञा, असहयोग और सत्याग्रह के मार्ग को छोड़ देना चाहिए।

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तर्क कम भावनाएं अधिक हावी हैं किसान आंदोलन में

एडिटोरियल डेस्कः किसान आंदोलन को आज 84 दिन से अधिक बीत चुके हैं। लेकिन सरकार और किसानों के बीच कई दौर की वार्ता होने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला है। 26 जनवरी को लाल किले पर खालिस्तानी झंडा लहराने के बाद जनता में भी किसान आंदोलन के प्रति सहानुभुति में कमी आई है। […]

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विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र शर्मसार, लेकिन गलती किसकी?

एडिटोरियल डेस्कः इस बार का गणतंत्र दिवस इतिहास के काले पन्नों में दर्ज हो गया है। राष्ट्रीय पर्व के दिन किसानों के भेष में शामिल कुछ अराजक तत्वों ने ट्रैक्टर रैली को लेकर पैदा हुई सुरक्षा बलों की शंकाओं को सही साबित कर दिया। ट्रैक्टर रैली निकालने पर अड़े किसान संगठनों ने दिल्ली पुलिस को […]

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सवाल तो उठेंगे ही, जवाब भले ही न दें किसान नेता

एडिटोरियल डेस्कः किसान आंदोलन को 51 दिन बीत चुके हैं। लेकिन इन 51 दिनों में किसान आंदोलन के बदलते रंग मन में सवाल खड़े करते हैं। खालिस्तान जिंदाबाद, हाय-हाय मोदी मर जा तू, देशद्रोह के आरोपितों को छोड़ने की बात, खालिस्तानी आतंकियों के नाम से लंगर, उनसे जुड़ा साहित्य खुले रूप से बिकना, मोदी को […]

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लोकतंत्र में यथा प्रजा तथा राजा

ए़डिटोरियल डेस्कः मतदान करने का हक ही असल में लोकतंत्र है। यह ऐसी व्यवस्था है जिसमें नागरिक स्वेच्छा से दूसरे नागरिक को समाजहित और देशहित में स्वयं पर शासन करने का अधिकार देता है। यह व्यवस्था संविधान के तहत पूर्व निर्धारित नियमों से संचालित होती है। लेकिन यह तभी   सफल है जब नागरिक अपने मताधिकार […]

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अभी स्वच्छ दिल्ली दूर है…

  एडिटोरियल डेस्कः भारत सरकार भले ही स्वच्छ भारत अभियान को जन आंदोलन बनाने के लिए प्रयासरत है लेकिन कहीं न कहीं अब यह आंदोलन दम तोड़ता नजर आ रहा है। केवल जन भागीदारी से इस अभियान को सफल नहीं बनाया जा सकता। इसमें सरकार की भूमिका की भी उचित भागीदारी आवश्यक है। हाल ही […]

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शिक्षा की अर्थहीनता

shiksha

हर साल हमे यह सुनने को मिलता है कि परीक्षा में असफल होने के कारण फलाना विद्यार्थी ने आत्महत्या करली।  ऐसे दर्जनों केस हमारे सामने हर वर्ष आते है और हर वर्ष हमारा एक ही जवाब होता है कि पढाई के दबाव में बच्चे सही गलत का निर्णय नहीं कर पाते और आत्महत्या कर लेते […]

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