क्यों गाड़ा जाता है होलिका दहन के समय डंडा? जानिए

धर्मतंत्र

धर्म डेस्कः भारत में होली सदियों से मनाते आ रहे हैं। रंग खेलने से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन की शुक्ल पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन सदियो से किया जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन स्नान-ध्यान करने के बाद दान और उपवास रखने से मनुष्य के दुखों का नाश होता है। साथ ही भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।

क्यों गाड़ा जाता है होलिका दहन के समय डंडा
क्या आप जानते हैं कि होलिका दहन से पहले दहन के स्थान पर एक डंडा गाड़ा जाता है और इसके इर्द-गिर्द लकड़ियां लगाई जाती हैं। लेकिन ये डंडा क्यों गाड़ा जाता है आईए आपको बताते हैं। पंडित दीपलाल जयपुरी के मुताबिक, डंडे को को प्रहलाद का प्रतीक माना जाता है और वहीं इसके इर्द-गिर्द लगाई लकड़ियों को होलिका का प्रतीक मानते हैं। होलिका दहन के समय ही उस डंडे को निकाल लिया जाता है। होलिका दहन के दिन ही होलाष्टक समाप्त हो जाते हैं। इसके समाप्त होते ही सभी शुभ कार्य फिर से शुरू किए जा सकते हैं।

प्रहलाद को क्यों मारना चाहती थी होलिका

कथा के अनुसार असुर राज हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी। बालक प्रह्लाद को भगवान कि भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती। लेकिन जब वह ऐसा करने में नाकाम रही तो असुरराज ने होलिका को आदेश दिया की प्रहलाद का अंत कर दे।

भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन भगवान विष्णू की कृपा से प्रहलाद बच गए और होलिका स्वयं आग में जल गई। इस प्रकार होली का यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।

होली पूजा विधि:

होलिका दहन से पहले होली पूजन का विशेष विधान है। इस दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद होलिका पूजन वाले स्थान में जाए और पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठ जाएं। इसके बाद पूजन में गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाए।

इसके साथ ही रोली, अक्षत, फूल, कच्चा सूत, हल्दी, मूंग, मीठे बताशे, गुलाल, रंग, सात प्रकार के अनाज, गेंहू की बालियां, होली पर बनने वाले पकवान, कच्चा सूत, एक लोटा जल मिष्ठान आदि के साथ होलिका का पूजन किया जाता है। इसके साथ ही भगवान नरसिंह की पूजा भी करनी चाहिए।

होलिका पूजा के बाद होली की परिक्रमा करनी चाहिए और होली में जौ या गेहूं की बाली, चना, मूंग, चावल, नारियल, गन्ना, बताशे आदि चीज़ें डालनी चाहिए।

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