राष्ट्रप्रेम बने देश का धर्म ?

मेरी बात

अभी हाल के दिनों में जो घटनाए इस देश में हो रही है। वह  विचलित करती है और एक भारतीय को दुःख और क्रोध से भर देती है।  जेएनयु की स्थापना 22 अप्रैल 1969 को हुई थी और इसे हमारे देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में गिना जाता है। जेएनयु केंद्र सरकार के अनुदान से चलती है। लम्बे अरसे तक यंहा पर वामपंथी विचारधारा का बोलबाला रहा है। 

9 फरवरी को जेएनयु में देश विरोधी नारे लगे। भारत को 100 टुकड़ो में तोड़ने की बात हुई। इस कार्यक्रम के आयोजक उमर खालिद है। इसका AISA के छात्र अध्यक्ष कह्नैया कुमार ने भी न केवल समर्थन किया बल्कि उसमे देश विरोधी नारे भी लगाए। यह संघठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया का छात्र संघठन है। सीपीआई नेता डी. राजा की बेटी भी इस देश विरोधी कार्यक्रम में शामिल थी और उसका वीडियो भी उपलब्ध है। 

जब उमर खालिद से इसका का कारण पूछा की सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर आप एक आतंकवादी की बरसी क्यों माना रहे थे ? और देश विरोधी नारे जैसे- कितने अफजल मरोगे हर घर से अफजल निकलेगा, हिंदुस्तान की बर्बादी तक जंग रहेगी जंग रहेगी, क्यों लगा रहे थे ? उसपर उसका उत्तर चौकाने वाला था। कहता है यह कौन तय करेगा कि अफजल आतंकवादी था या नहीं ? कुछ नेता या जज मिलकर यह निर्णय कैसे ले सकते है ? 
उसने अपने बांटे हुए सांस्कृतिक पम्पफ्लेट पर अफजल गुरु की फांसी को न्यायिक हत्या करार दिया है। उसको भी उसने न्यायोचित ठहराया है। 

कह्नैया कुमार से जब पत्रकार ने पूछा कि शिक्षा के मंदिर में देश विरोधी नारे लगाना शोभा नहीं देता है। तो वह कहता है कि “आप इसे मंदिर न कहे, शिक्षण संस्थान कहे”। इस एक पंक्ति ने ही इन सबकी राष्ट्रविरोधी विचार धारा को प्रदर्शित कर दिया है। जब पत्रकार कहता है कि आप भारत माता की जय बोलो, तब वह इधर- उधर की बात करने लग जाता है परन्तु भारत माता की जय नहीं बोलता । जब यह लोग विचार ही राष्ट्रविरोधी रखते है तो इनसे राष्ट्रहित के व्यवहार की उम्मीद नहीं की जा सकती। 

इस मुद्दे पर कांग्रेस, सीपीआई , समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, जनता दल युनाईटेड, राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी  में से किसी भी  नेता का ब्यान नहीं आया। हर मामले में घुसने वाले केजरीवाल का भी अब तक कोई ब्यान नहीं आया था परन्तु जब आया तब कहते है “मोदी सरकार निर्दोष छात्रों को निशाना बना रही है।”

सभी पार्टियों का राजनीतक चरित्र इस घटना ने सबके सामने ला दिया है। ये सब पार्टिया वोट के लिए देशविरोधी ताकतों का नैतिक रूप सें समर्थन कर रही है । 

मै  देश की जनता से पूछना चाहता हूँ। कहाँ  है वे सब लोग जो धर्म के नाम पर सड़को पर उतर आते है ? मेरे धर्म का अपमान कर दिया, मेरे पैगम्बर को गाली दे दी। ये कर दिया, वो कर दिया। देश में अराजकता फैलाते है। लेकिन जब देश को गाली दी जाती है तो घरो में दुबके रहते है। 

तुम्हारे देश को कोई गाली दे। उसके 100 टुकड़े करने की बात कहे। उसकी बर्बादी की कामना करे। इतने पर भी तुम्हारा खून न खोले ? तो क्या वह सच्चा भारतीय हो सकता है ? इस पर मुझे कुछ पंक्तिया याद आती है —

“जिस भारतीय का खून न खोले, खून नहीं है वह पानी है,

जो देश के काम ना आए, वो बेकार जवानी है॥”  

 इसलिए इस देश का एक ही धर्म होना चाहिए “राष्ट्रप्रेम” ।

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