रविवार को मालदा में जिस प्रकार हिंसा हुई। उसी प्रकार की हिंसा अब बिहार के पूर्णिया जिले में देखने को मिली। हज़ारो की संख्या में मुस्लिम सडको पर उतर आये कहते है इनकी संख्या लगभग 30 -40 हज़ार थी। पैगम्बर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी के विरोध मे जुलुस निकाला गया था। जुलुस निकाल ने की अनुमति इस्लामिक कौंसिल ने ली थी। जुलुस ख़त्म होने पर भीड़ उग्र हो गई और उसने बाइसी थाने में थोड़ फोड़ की तथा उसे आग लगा दी। उसके कंप्यूटर, फर्नीचर और अन्य अहम दस्तावेज भी जल कर राख हो गए।
पुलिस वालो ने थाने से भागकर जान बचाई। उसके बाद जब भारी पुलिस बल आया तब जाकर ये हिंसा शांत हुई। लेकिन इतना सबकुछ हो जाने पर भी अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई। हैरान करने वाली बात यह है कि अब कोई न्यूज़ चेंनेल और बुद्धिजीवी और हमारे देश के नेता इस पर ब्यान देने से बच रहे है। ये सब खुले आम हो रहा है पर कोई भी इसके खिलाफ बोलने के लिए तैयार नहीं है।
अब दिल्ली के मुख्यमंत्री जो दिल्ली छोड़ के दादरी पहुंच गए थे और वंहा जाकर घड़ियाली आंसू बहा रहे थे और दादरी घटना के लिए दिल्ली सरकार की तरफ से विज्ञापन भी चलाया था। अब इस विषय पर क्या दिल्ली से बाहर किसी भी विषय पर बोलने के लिए तैयार नहीं है।
राजनीती का इससे बुरा काल कभी नहीं आया होगा जब नेता लोग खुले आम अपने गिरगिट होने की काभिलियत को बखूबी साबित कर रहे है।