Target Killing in Kashmir: 1990 की याद दिला रही हैं जम्मू-कश्मीर में टार्गेट किलिंग

एडिटोरियल मेरी बात

विचार डेस्कः कश्मीर घाटी में आतंकी संगठन एक बार फिर से अपने पांव पसार रहे हैं। आतंकियों के निशाने पर कश्मीरी हिन्दू विशेषकर कश्मीरी पंडित हैं। हालांकि जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 व 35ए को मोदी सरकार ने हटा दिया था। उस समय संसद में सत्ता पक्ष ने राज्य से पूरी तरह से आतंकवादियों के खात्मे के बड़े-बड़े दावे किये थे। हालांकि केंद्र सरकार जनता को दिखाए सपनों पर अभी काम कर रही है। लेकिन 370 हटने के बाद से ही आतंकवादियों में बौखलाहट, छटपटाहट, हताशा और निराशा है। इसलिए जम्मू-कश्मीर में आतंकी निरंतर माहौल खराब करने के प्रयास कर रहे हैं। हालांकि आतंकियों की हर कायराना हरकत का भारतीय सेना मूंह तोड़ जवाब दे रही है। आतंकियों को सेना चुन-चुन कर मार रही है। इसी बौखलाहट में पाक परस्त आतंकी निरंतर हिन्दुओं व गैर-कश्मीरियों की टारगेट किलिंग कर रहे हैं।


वर्ष 2021 में हिन्दुओं की टारगेट किलिंग की घटनाएं सामने आई थीं। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष घाटी में हिन्दुओं की टारगेट किलिंग में तेजी आई है। पिछले माह 12 मई की शाम को बडगाम जिले के चदूरा में स्थित तहसील कार्यालय में घुसकर, आतंकवादियों ने नाम पूछकर 36 साल के राजस्व विभाग अधिकारी राहुल भट्ट की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इन हत्या के चलते कश्मीरी हिन्दुओं की चिंताओं को बढ़ा दिया है। अपनी सुरक्षा को लेकर कश्मीरी हिंदू सड़कों पर प्रदर्शन करने को मजबूर है। सरकारी सेवाओं में लगे हिन्दुओं ने बड़ी संख्या में अपने इस्तीफे देकर केंद्र सरकार के सामने एक चुनौती पैदा कर दी है। इसी बीच एक हिंदू टीचर रजनी बाला की भी आतंकियों ने हत्या कर दी है। गुरुवार सुबह कुलगाम में बैंक मैनेजर विजय कुमार की गोली मार हत्या कर दी। शाम होते-होते एक और हिंदू को आतंकियों ने मार डाला जो अपनी रोजी-रोटी के लिए मजदूरी करता था। अगर आंकड़ों की बात करें तो राज्य बीते 26 दिनों में आतंकियों ने 10 हिंदुओं की जान ले ली। ये घटनाएं वर्ष 1990 की याद दिला देती हैं। हमारी खूफिया एजेंसी आतंकियों की सटीक जानकारी जुटाने में विफल हो रही हैं। एक बार फिर कश्मीरी हिंदू सामूहिक पलायन को मज़बूर हैं।


सरकार को कश्मीरी हिन्दुओं की सुरक्षा व बड़े पैमाने पर राज्य में पुनर्वास के लिए धरातल पर सख्त कदम उठाने होंगे। सरकार व सिस्टम को यह समझना होगा कि जम्मू कश्मीर में घटित कश्मीरी हिन्दुओं के खिलाफ घटनाओं से देश के आम जन का भी मन बहुत आहत है। आम जनमानस यह नहीं चाहता है कि जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं की हत्याएं होती रहे और मोदी, शाह और सेना आदि के शीर्ष अधिकारी दिल्ली में सिर्फ बैठक करते रहें। कश्मीरी हिन्दुओं का अब सुरक्षित पुनर्वास और उनका खोया हुआ मान-सम्मान वापस चाहिए। सरकार में बैठे हुए लोगों को कम से कम अब यह समझना होगा, कि जम्मू-कश्मीर में लक्षित हत्याओं को ‘पाक की नापाक हरकत’ या पाक परस्त आतंकियों की बौखलाहट कह देने मात्र से अब काम नहीं चलने वाला। सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। अगर इसी तरह लक्षित हत्याएं होती रही तो वे दिन दूर नहीं, जब फिर से “द कश्मीर फाइल्स- 2” फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार करने में फिल्म निर्माताओं के पास भरपूर मसाला होगा।

जिस सरकार को जनता ने चुनकर देश की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा है। अगर वह इस जिम्मेदारी का निर्वहन करने में केवल शब्दों से काम चलाती रही तो वह दिन दूर नहीं है। जब जिम्मेदारी देने वाली जनता, जिम्मेदारी वापस भी ले सकती है।

लेखक : दीपक कुमार त्यागी

वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक

Note:- ये लेखक के निजी विचार हैं।

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