नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार ने तमिलनाडु में समग्र शिक्षा योजना के तहत मिलने वाले ₹2,152 करोड़ के फंड को रोक दिया है, क्योंकि राज्य सरकार ने नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लागू करने से इनकार कर दिया है। इस मुद्दे पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक कड़े शब्दों वाला पत्र लिखा है और केंद्र से लंबित राशि जारी करने की मांग की है।
हिंदी थोपने का आरोप
इस विवाद की जड़ में “त्रिभाषा फॉर्मूला” है, जिसे NEP 2020 के तहत लागू किया गया है। केंद्र सरकार का तर्क है कि यह नीति युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर देने के लिए बनाई गई है, लेकिन तमिलनाडु इसे राज्य पर हिंदी थोपने की कोशिश के रूप में देखता है।
गौरतलब है कि तमिलनाडु में हिंदी विरोधी आंदोलनों का इतिहास लगभग 100 साल पुराना है। राज्य में केवल तमिल और अंग्रेज़ी को शिक्षा प्रणाली में अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाता है, जबकि अन्य राज्यों में आमतौर पर तीन-भाषाई नीति अपनाई जाती है।
शिक्षा में भाषा को लेकर पुरानी बहस
स्वतंत्रता के बाद से ही शिक्षा में भाषा नीति को लेकर बहस चल रही है। 1948-49 की विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग, जिसकी अध्यक्षता डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने की थी, ने इस विषय की विस्तृत जांच की थी। आयोग ने संघीय भाषा के रूप में हिंदी (हिंदुस्तानी) को अपनाने की सिफारिश की थी, जबकि प्रांतीय स्तर पर क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग की बात कही गई थी।
हालांकि, आयोग ने यह भी माना कि तत्काल अंग्रेज़ी को हटाना व्यावहारिक नहीं होगा। इसलिए, अंग्रेज़ी को तब तक जारी रखने की सिफारिश की गई जब तक कि सभी राज्य हिंदी को अपनाने के लिए पूरी तरह तैयार न हो जाएं।
त्रिभाषा फॉर्मूला और NEP 2020
राधाकृष्णन आयोग ने पहली बार त्रिभाषा फॉर्मूला का प्रस्ताव दिया था, जिसे बाद में 1964-66 के कोठारी आयोग और 1968 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल किया गया।
1986 और 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों में भी इसे बरकरार रखा गया, हालांकि NEP 2020 में हिंदी का सीधा उल्लेख नहीं है। इसमें कहा गया है कि तीन भाषाओं का चयन राज्य, क्षेत्र और छात्रों की पसंद पर निर्भर करेगा, बशर्ते उनमें से कम से कम दो भारतीय भाषाएं हों।
केंद्र का बदला हुआ रुख
पहले केंद्र सरकार इस मुद्दे पर राज्यों को स्वतंत्रता देने की बात कहती थी।
- 2004 में, तत्कालीन कांग्रेस सरकार के शिक्षा मंत्री अर्जुन सिंह ने संसद में कहा था कि त्रिभाषा फॉर्मूला लागू करना राज्यों की जिम्मेदारी है और केंद्र की इसमें केवल सिफारिशी भूमिका है।
- 2014 में, भाजपा की शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी ने भी यही रुख अपनाया और कहा कि राज्यों को अपने पाठ्यक्रम और भाषा नीति तय करने की स्वतंत्रता है।
हालांकि, अब केंद्र सरकार ने समग्र शिक्षा योजना के फंड को NEP 2020 से जोड़ दिया है, जिससे राज्यों पर इसे लागू करने का दबाव बढ़ गया है। तमिलनाडु सरकार इसे राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन मान रही है और केंद्र के इस रुख का कड़ा विरोध कर रही है।