
हरियाणा डेस्क: हरियाणा सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बालवाटिका-3 से कक्षा 8 तक के विद्यार्थियों के लिए ‘होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड (HPC)’ की शुरुआत की है। यह नई व्यवस्था केवल शैक्षणिक उपलब्धियों पर केंद्रित न होकर बच्चों के संज्ञानात्मक (cognitive), भावनात्मक (emotional), सामाजिक (social) और शारीरिक (physical) विकास पर ध्यान देगी।
शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव
अब हरियाणा के स्कूल शिक्षा मूल्यांकन तंत्र का नया मंत्र “संपूर्ण विद्यार्थी विकास” होगा, न कि केवल परीक्षा के अंकों पर आधारित उपलब्धियां। शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “इसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में विद्यार्थियों के पूरे वर्ष के विकास का समग्र आकलन करना है।”
NCERT-PARAKH दिशानिर्देशों के अनुरूप बनाया गया कार्ड
HPC को NCERT-PARAKH दिशानिर्देशों के आधार पर तैयार किया गया है, साथ ही इसे हरियाणा की जरूरतों के अनुसार अनुकूलित किया गया है। यह एक बाल-केंद्रित (child-centric) दस्तावेज होगा, जो विद्यार्थी की विभिन्न क्षमताओं का मूल्यांकन करेगा, जिसमें स्वास्थ्य स्थिति, भावनात्मक विकास, महत्वपूर्ण सीखने के परिणाम (critical learning outcomes), और सामाजिक संपर्क शामिल हैं।
पहले के रिपोर्ट कार्ड से क्या है अलग?
HPC की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें विद्यार्थी के विकास का मूल्यांकन केवल शिक्षकों द्वारा नहीं किया जाएगा, बल्कि इसमें सहपाठियों (peers), अभिभावकों (parents), शिक्षकों (teachers), और स्वयं विद्यार्थी (self-assessment) की राय भी शामिल होगी। इससे विद्यार्थी की ताकत और सुधार के क्षेत्रों को संतुलित दृष्टिकोण से देखा जा सकेगा।
विशेषज्ञों की टीम ने किया तैयार
HPC को विकसित करने के लिए एक “स्टेट रिसोर्स ग्रुप” का गठन किया गया, जिसमें शिक्षाविदों, मूल्यांकन विशेषज्ञों और बाल मनोवैज्ञानिकों को शामिल किया गया। इस नई मूल्यांकन प्रणाली में बदलाव लाने की मुख्य प्रेरणा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के प्रावधानों से मिली है।
यह कदम हरियाणा की शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार है, जिससे विद्यार्थियों का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा और केवल अंकों पर निर्भरता को खत्म किया जा सकेगा।