
रक्षा डेस्कः भारत सेना को लंबे समय तक अपनी सेवा देने वाले तोपखाना प्रणालियों (सिस्टम्स) 130 MM स्वचालित M-46 प्रक्षेपक तोप और 160 MM टैम्पेल्ला मोर्टारों को मंगलवार को सेवा मुक्त कर दिया गया। इनका सेवा मुक्त कार्यक्रम बीकानेर के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया। समारोह में रस्मीतौर पर अंतिम रूप से गोला दागा गया। इसमें महानिदेशक तोपखाना, लेफ्टिनेंट जनरल के रवि प्रसाद तथा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। ये हथियार प्रणालियां 60 वर्षों से भारतीय सेना में हैं। इन्हें सेवामुक्त किया गया है ताकि नवीनतम टेक्नोलॉजी वाले नए उपकरण आ सकें।

1981 में सेना में शामिल हुई थी तोपें
130 एमएम प्रक्षेपक तोप की रेंज 27 किलोमीटर से अधिक है। यह दो वर्तमान हथियार प्रणालियों-विजयंत टैंकों तथा 130 एमएम एम-46 तोपों का कामयाब कॉम्बिनेशन था। यह संकर प्लेटफॉर्म मोबाइल आर्टिलरी गन प्रणाली की जरूरत के लिए विकसित किया गया था। 1965 तथा 1971 के युद्धों के बाद पश्चिमी सीमाओं पर स्ट्राइक फॉरमेशनों की सहायता की जा सके। ये तोपें सेना में 1981 में शामिल की गई थीं। अनेक कार्रवाईयों के दौरान इन्हें सफलतापूर्वक तैनात किया गया।
पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में टैम्पेला मोर्टार का हुआ इस्तेमाल
160 एमएम टैम्पेल्ला मोर्टार की रेंज 9.6 किलोमीटर है। चीन के साथ 1962 की लड़ाई के बाद शामिल किया गया था। ताकि उत्तरी सीमाओं के ऊंचे शिखर को निर्बाध करने के लिए हथियार प्रणाली की आवश्यकता पूरी की जा सके। मूल रूप से इजराइल के रक्षाबलों से आयातित यह मोर्टार लीपा घाटी तथा हाजीपीर कटोरा में नियंत्रण रेखा पर सफलता पूर्वक तैनात की गई थी। मोर्टार ने 1991 के करगिल युद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।