हरियाणा डेस्क: हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र आज से शुरू हो रहा है, जिसकी कार्यसूची न केवल विधानसभा की आधिकारिक वेबसाइट बल्कि नेशनल ई-विधानसभा एप्लीकेशन (नेवा) पोर्टल पर भी अपलोड की गई है। इस वर्ष के पहले सत्र की शुरुआत प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के अभिभाषण से हुई।
इस बीच, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और कानूनी मामलों के जानकार हेमंत कुमार ने विधानसभा की कार्यसूची में दर्ज शोक प्रस्ताव सूची में एक गंभीर गलती की ओर ध्यान आकर्षित किया है। दरअसल, सूची में देश के पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह (जिनका निधन 26 दिसंबर 2024 को हुआ) के नाम के आगे पद्म विभूषण उपाधि का उल्लेख किया गया है।
हेमंत कुमार के अनुसार, यह उल्लेख सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के 15 दिसंबर 1995 के संवैधानिक बेंच के निर्णय की अवहेलना है। इस फैसले में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि भारत सरकार द्वारा प्रदत्त चारों राष्ट्रीय पुरस्कार – भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री – किसी भी व्यक्ति के नाम के साथ उपाधि (Title) के रूप में इस्तेमाल नहीं किए जा सकते। अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है और भारत सरकार निर्धारित प्रक्रिया के तहत पुरस्कार को वापस भी ले सकती है।
हेमंत कुमार ने यह भी बताया कि लोकसभा की 31 जनवरी 2025 की कार्यसूची में शामिल शोक प्रस्ताव सूची में डॉ. मनमोहन सिंह के नाम के आगे पद्म विभूषण का उल्लेख नहीं किया गया था, जिससे यह सवाल उठता है कि हरियाणा विधानसभा ने यह गलती कैसे की?
पहले भी हो चुकी है इस तरह की गलती
हेमंत कुमार ने एक और महत्वपूर्ण उदाहरण देते हुए बताया कि वर्ष 2007 में दिल्ली सरकार द्वारा “भारत रत्न डॉ. बी.आर. अम्बेडकर विश्वविद्यालय” नामक अधिनियम पारित किया गया था, जिसमें डॉ. अंबेडकर के नाम के आगे भारत रत्न का उल्लेख था। हालांकि, वर्ष 2016 में अरविंद केजरीवाल सरकार ने विधानसभा में संशोधन कर उक्त विश्वविद्यालय के नाम से “भारत रत्न” शब्द हटा दिया, ताकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन हो सके।
अब सवाल यह उठता है कि क्या हरियाणा विधानसभा सचिवालय को इस संवैधानिक फैसले की जानकारी नहीं थी, या यह गलती महज लापरवाही का नतीजा है?