हैदराबाद के रोहित वेमुला का एक सच ये भी

मेरी बात


रोहित वेमुला हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहा था। वह यूनिवर्सिटी से 2012 में जुड़ा और कॉउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च से जूनियर रिसर्च फ़ेलोशिप प्राप्त की। हर महीने रोहित को 25000 छात्रव्रती के रूप में मिलते थे। वह एक विज्ञान का लेखक बनना चाहता था। रोहित अम्बेडकर स्टूडेंट असोसिएशन से जुड़ा हुआ था। उसके पिता सिक्योरिटी गॉर्ड है एक निजी अस्पताल में और माता सिलाई का काम करती है। रोहित की एक बड़ी बहन है और एक छोटा भाई है। यह तो हुआ रोहित वेमुला का छोटा सा परिचय।

रोहित और एबीवीपी का विवाद:-    

एएसए (अम्बेडकर स्टूडेंट असोसिएशन) और एबीवीपी ( अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ) में वैचारिक तौर पर कई विवाद थे, वो क्यों थे ? आइये जानते है। रोहित ने “किस ऑफ़ लव” का हैदराबाद यूनिवर्सिटी में आयोजन किया था। जिसमे लड़के और लडकिया खुले आम एक दूसरे को “लिप टू लिप” किस करते है। जिसपर एबीवीपी को और उसके नेता रहे सुशील कुमार को इस बात पर ऐतराज़ था।रोहित वेमुला ने बीफ पार्टी का आयोजन किया जिसपर एबीवीपी ने ऐतराज जताया लेकिन यह विवाद दोनों छात्र संगठनो में तब ज्यादा बढ़ गया। जब आतंकी याकूब मेमन की फांसी का विरोध रोहित और उसके साथियो ने किया।   
एक वीडियो में रोहित का एबीवीपी के छात्रों के साथ बहस हो रही है। जिसमे रोहित ने एबीवीपी का बैनर फाड़ा है। जब एबीवीपी के छात्र उससे उसका कारण पूछते है तो वह अड़ियल रवैये से जवाब देते हुए कहता है कि “उसे हिन्दू और हिंदुत्व से जुड़ा हुआ या सैफरॉन रंग दिखेगा उसे फाड़ दूंगा” जब उससे इसका कारण पूछते है, तो उसके पास इसका कोई कारण नहीं है। बोलता है कि यह उसकी मर्ज़ी है।     

एबीवीपी– तुमने हमारा पोस्टर क्यूँ फाड़ा ?

रोहित – मेरी मर्जी । 

एबीवीपी– मर्जी से क्या मतलब ?

रोहित – मेरी मर्जी बार-बार फाडूगा। 

एबीवीपी– पोस्टर ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा ?

रोहित – मुझे हिन्दू हिंदुत्व और सेफ्रोन कलर जहाँ दिखेगा फाड़ दूंगा।  

ये तो रहे एबीवीपी और रोहित के विवाद के विषय।

लेकिन ऐसा क्या हुआ ? कि उसे आत्महत्या करनी पड़ी। इसके लिए हम पुरे घटनाक्रम को समझने की कोशिश करते है लेकिन उससे से पहले अपनी आँखों से जात-पात का चस्मा उतार देना चाहिए और देश के सच्चे नागरिक की द्रिस्टी से इसका मूल्यांकन करने की कोशिश करनी चाहिए।


क्यों हुए यूनिवर्सिटी से ससपेंड रोहित वेमुला ? 

रोहित ने और उसके 40 साथियो ने एबीवीपी नेता सुशील कुमार को मारा। वह 7-8 दिन अस्पताल रहा। इसके बाद एबीवीपी ने बीजेपी के सिकंदराबाद से सांसद दत्तात्रेय को पत्र लिखा जिसमे एएसए के सदस्यों की भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की बात लिखी। यह पत्र दत्तात्रेय जी आगे यूनियन ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट मंत्री स्मिृति ईरानी को भेजते है। इसके बाद दत्तात्रेय भी कहते है क्या हुआ ? उन्हें नहीं मालूम। हैदराबाद यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर कहते है की उन्होंने इसकी जाँच की और इसके बाद ही रोहित और उसके साथियो को आंशिक रूप से ससपेंड किया। वे अपनी क्लास लगा सकते थे लेकिन किसी भी राजनितिक गतिविधियों पर हिस्सा लेने पर उन पर बैन लगा दिया था। प्रोक्टोरिल बॉर्ड ने इसकी सिफारिश की थी।  उसके बाद ही उन्हें ससपेंड किया था।    
  
 अब चलते है अगली कड़ी की ओर, रोहित ने आत्महत्या की और उसने एक सुसाइड नोट अपने पीछे छोड़ा। जिसमे वह किसी को भी दोष नहीं देता है। उसके पत्र  की कई बाते गौर करने लायक है जिसमे वह कहता है 

“मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है। मुझे ये महसूस  देता है कि मेरी आत्मा और मेरे शरीर में दूरिया बढ़ रही है। मै एक शैतान बन चूका हूँ। मै एक लेखक बनना चाहता था अंत में मै केवल यह पत्र ही लिख पाया हूँ । 

मै विज्ञान को , सितारों को , प्रकृति को प्यार करता हूँ लेकिन उसके बाद मैंने लोगो को भी प्यार किया, बिना उन्हें जाने, उनका विज्ञान अलग होता है, प्रकृति से अलग। हमारा प्यार बनावटी है। यह बहुत मुश्किल है किसी को प्यार करना, बिना आहात हुए।” 

किसी ने आत्महत्या की है इसलिए दूसरा पक्ष अपने आप अपराधी हो गया। इस मानसिकता से हमे उभरना होगा। आज यही हो रहा है। राजनीती करने वालो ने, इस पर राजनीती शुरू कर दी है। एक लम्बी सूचि है राहुल गांधी से लेकर केजरीवाल तक।
अभी यह जाँच का विषय की उसने आत्महत्या क्यों की और जांच होनी भी चाहिए। जिन दोस्तों के साथ वो था। उन्हें तक ये नहीं पता था कि वह आत्महत्या कर लेगा लेकिन उसकी ये पंकितया कि ” मैंने लोगो को भी प्यार किया।  बिना उन्हें जाने” काफी कुछ कहती है। बाकि पहलु भी जाँच के विषय है।

रोहित ने आत्महत्या कर ली। इसके लिए सभी को उसके परिवार से सहानुभूति है लेकिन सवाल यंहा ये भी है कि वो भगवा रंग से इतनी नफरत क्यों करता था ? रोहित हिन्दू और हिंदुत्व के इतना खिलाफ क्यों था ? वह देश के दुश्मन याकूब मेमन से इतनी हमदर्दी क्यों थी ? ये विचारधारा कहाँ से पनपी ? ये भी जाँच के विषय है।

  


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