पश्चिमी बंगाल के मालदा जिले में लगभग 2.5 लाख मुस्लिम सड़को पर निकल आये कमलेश तिवारी के विरोध में और उसकी फांसी की सजा की मांग कर रहे थे। कमलेश तिवारी जो अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अध्यक्ष है। यह संस्था उत्तर- प्रदेश में पंजीकरित है। कमलेश तिवारी का यह ब्यान आजम खान के ब्यान की प्रतिक्रिया के रूप में आया था। जिसमे आजम खान ने आरएसएस के स्वयंसेवको को “गे” कहा था। उसी लहज़े में मुस्लिमो के पैगम्बर को भी समलैगिक कह दिया। कमलेश तिवारी को उसके ब्यान के एक दिन बाद ही जेल में डाल दिया गया तो सवाल यह उठता है कि लगभग एक महीने बाद इस रैली का क्या ओचित्य था। इतने बड़े पैमाने पर होना इस बात की और संकेत करता है की कही न कही इसकी तैयारी बहुत पहले से थी।
पश्चिमी-बंगाल में यह घटना इतने बड़े पैमाने पर हुई। गाड़िया जला दी गई, पुलिश स्टेशन पर हमला किया गया और उसे भी जला दिया गया, बीएसएफ की गाड़ी आ रही थी उस पर भी हमला कर उसे भी जला दिया गया। पुलिश वाले हो या बीएसएफ सभी को अपनी जान भागकर बचानी पड़ी। एक यात्री बस पर भी हमला किया गया उनको भी अपनी जान बचा कर भागना पड़ा। कुछ लोग हथियार के साथ फायरिंग कर रहे थे। यह सब होता रहा लेकिन प्रसाशन सोता रहा। इस दौरान 30 लोग घायल हो गए और सरकारी और गैरसरकारी सम्पत्ती का नुकसान हुआ।
अब सवाल उठता है इतना सब होने पर भी कि किसी भी न्यूज़ चैनल पर इसकी डिबेट नही हुई। किसी भी चैनल पर खबर तक नहीं दिखाई दी लेकिन मै बधाई देना चाहता हूँ ज़ी न्यूज़ को जिसने सबसे पहले इस खबर को दिखाया और इसे दबने से बचा लिया गया। इसी कड़ी में एबीपी न्यूज़ चेंनेल भी शामिल हो गया।
हैरानी की बात है किसी भी बुद्धिजीवी की कोई आवाज़ इस घटना पर सुनाई नहीं दी। बॉलीवुड के किसी भी सितारे को इस घटना में अशहिस्णुता दिखाई नहीं देती।
कुछ दिनों पहले कुरैशी शाहब जो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य है, ने कहा था की श्री राम अयोध्या में नहीं पाकिस्तान और अफगानिस्तान सीमा पर पैदा हुए है। इस तरह की घटिया और असंवेदनशील बयान देने के बाद भी किसी हिन्दू संघठनो ने देश में तोड़ फोड़ नहीं की और नहीं कुरैशी को गिरफ्तार किया। अब आप क्या कहेंगे इस दोहरे रवैये के बारे में ? ऐसी एक घटना नहीं है दौरे मापदंड की अनेक है इसलिए अब समय आ गया है कि सरकार एक देश, एक झंडा , एक कानून पर जल्द से जल्द काम करे।