डेविड कोलमन हेडली ने इस बात कि पुष्टी कर दी है की इशरत जहा एक महिला आतंकवादी थी। वह एक फिदाईन हमलावर थी। यह बात गुजरात पुलिस ने बार-बार कही थी। साथ में ही भारत की केंद्रीय एजेंसी (आईबी) ने भी इस बात की पुष्टि की थी। फिर ऐसा क्या हुआ भारत सरकार और गैर भाजपा सरकार इस राज्य स्तरीय मुददे को केंद्र में ले आई । गुजरात में विपक्ष में बैठी कांग्रेस इस मुददे को उठाए समझ में आता है लेकिन केंद्र में बैठी कांग्रेस की भारत सरकार ने भी इसे अपना मुख्य मुद्दा मान लिया जबकि उनके पास आईबी की रिपोर्ट थी। उस समय भाजपा को और मोदी को बदनाम करने के लिए देश की शांति और सुरक्षा के साथ समझोता किया जा रहा था, केवल वोट बैंक के लिए। मान सकते है पुलिस गलती कर सकती है, यह भी मान सकते है कि राज्य सरकार गलती कर सकती है परन्तु बिना जाँच किये ही उसे शहीद बताने लगे, कोई उसे निर्दोष बता रहा था तो कोई उसे बिहार की बेटी बता रहा था तो कोई सेकुलरिज्म का रोना रो रहा था। अब वह हर स्तर पर दोषी साबित हो चुकी है। आतंकवादियों को चाहने वाले इस बात को अब कितना ही लम्बा खिचे और इस पर अब उट पटांग तर्क दे। देश की जनता अब समझ चुकी है। लेकिन कुछ लोगो की बेशर्मी देखिये अभी भी अलग अलग तर्कों से उसे न्याययोचित ठहरहा रहे है।
वोट बैंक की राजनीती ने कांग्रेस के नेताओ को इतना निचे गिरा दिया है कि जब पी चिदंबरम गृह मंत्री थे, भारत सरकार के । उस समय ग्रह मंत्रायलय ने कोर्ट में अफेडफिट दिया था। जिसमे इशरत जंहा को आतंकवादी माना था। बाद में अफेडफिट बदल दिया । 18 फरवरी को 2013 में एनआईए ने भी अमेरिका जा कर इस बात की पुष्टी की थी और तब भी हेडली ने इशरत को आतंकवादी बताया था। लेकिन तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और कांग्रेस ने इसे कैसे भुनाया यह सभी जानते है। आईबी ने सीबीआई को 28 फरवरी 2013 को एक रिपोर्ट दी। जिसमे हेडली ने ऍफ़बीआई को बताया था कि इशरत जहा लश्करे-तोयबा की महिला सुसाइड बॉम्बर है। जिसे मुज्ब्बिल ने भर्ती किया था जो कि पाकिस्तान आधारित लश्करे-तोयबा का कमांडर है।”
इतना सब कुछ होने के बाद भी तथाकथित नेता और अपने को सेक्युलर कहने वाले, उसे शहीद बता रहे है तो कोई उसे अपनी बेटी बता रहे थे। अब वे लोग कहा है ? या वो लोग कहा है ? जो उसे निर्दोष बता रहे थे। सब को साप सूंघ गया है। कौन है इशरत जहा ? जो देश की पूरी तथा तथाकथित नेता बिर्गेड उसके के लिए सामने आ खड़े हुए ? क्या योग्यता है इशरत की जो उसके लिए 11 साल से धामा चौकड़ी मचाई हुई थी। तथाकथित नेताओ की जमात ने हालांकि की यह बताने की जरूरत नहीं की क्या योग्यता है उसकी ? या ये नेता लोग उसके लिए ड्रामा क्यों कर रहे है ? लेकिन बता देता हूँ, वह मुस्लिम है इसलिए ऐसा भी नहीं है कि ये मुस्लिमो के भले के लिए कर रहे है। नहीं जनाब ये तो अपने वोट के लिए कर रहे है।
कहाँ चले जाते है वे लोग जब कोई सिपाही शहीद होता है ? क्या कभी किसी सिपाही के नाम पर भी एम्बुलेंस किसी ने चलाई है।