आप लोगो ने कही बार देखा होगा लोग बड़ी बहदुरी से अपने धर्म के लिए आवाज़ उठाते हैं, जुलुस निकालते है, हिंसक प्रदर्शन करते है। पुरे देश-प्रदेश की कानून व्यवस्था को अपने हाथ में ले लेते है। बुद्धिजीवी भी अपने बिलो से बहार निकल कर पक्ष-विपक्ष में झंडे बुलंद कर लेते है और आज कल नए बुद्धिजीवी पैदा हो रहे है बॉलीवुड में वो भी खड़े हो जाते है धर्म के नाम पर लेकिन जब देश की बात आती है तो सबके सब पड़े होते है अपने बिलो में।
अभी हाल ही में पश्चिमी- बंगाल की घटना सामने आई जिसमे एक मदरसे का हेड मास्टर को सिर्फ इसलिए मारा गया क्योकि उसने मदरसे के बच्चो को राष्ट्र-गान का अभ्यास कराया। उसकी मदरसे में जाने पर पाबन्दी लगा दी। काजी मासूम अख्तर ने अपने मदरसे तालपुकुर में आधुनिक शिक्षा की शुरुआत की तो कुछ कटटर पंथियों ने इसका विरोध किया। जब वह नहीं माने तो उनकी पिटाई की गई। इसकी जानकारी उन्होंने पुलिस को दी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई, फिर क़ाज़ी मासूम अख्तर ने मदरसे बोर्ड को इसकी जानकारी दी पर कुछ नहीं हुआ। उसके बाद उन्होंने पश्चिमी-बंगाल की मुख्यमंत्री को इसके बारे में 6 बार पात्र लिखा पर कोई उत्तर मुख्यमंत्री की तरफ से नहीं आया। चारो तरफ से निराश होकर क़ाज़ी मासूम ने मीडिया को इसमें सम्लित किया। तब जाकर यह घटना प्रकाश में आई ।
अब सवाल उठता है कि राष्ट्र-गान गाने पर किसे आपत्ति है ? यह वैसे बताने की आवश्यकता नहीं है। जिन्हे राष्ट्र-गान से गाने से उनका धर्म रोकता है। मै उन्हें सलाह देता हूँ कि आप किसी भी इस्लामिक देश जाने के लिए स्वतंत्र है क्योकि यह देश एक पंथनिरपेक्ष देश है कोई इस्लामिक देश नहीं है।
यह भी विचारणीय विषय है कि ऐसा क्यो है की जन्हा भी मुस्लिम आबादी बढ़ती है वंहा पर देश विरोधी ताकते मजबूत होती है और गैर इस्लामिक लोगो का रहना मुस्किल हो जाता है।
एक टीवी चेनेल की डिबेट में गरीब नवाज़ फाउंडेशन के हेड अंसार रजा खान कुल आम कहते है कि वह राष्ट्र-गान की भारत-भाग्य-विधाता पंक्ति नहीं गाएगे। कहा से आती है इनमे इतनी ताक़त ये सब खुला आम बोलने की।
एक अन्य क़ाज़ी ने न्यूज़ चेंनेल पर सरे आम न्यूज़ एंकर को सर काटने की धमकी दे दी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई और नहीं किसी बुद्धिजीवी अपने बिल से बहार निकला।
अगर देश को बचाना है तो इन देश विरोधी ताक़तों को जल्द से जल्द ख़त्म करने के लिए सरकार को ठोस कार्यवाही करनी चाहिए।