कोरोना काल में डिजिटलीकरण को मिला बढ़ावा : रंजना निगम

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प्रयागराज डेस्कः पूरी दुनिया कोविड-19 संक्रमण की चपेट में है। इसकी वजह से हर वर्ग के व्यक्तियों की जीवनशैली प्रभावित हुई है। ऐसे में शहर का आम आदमी इस बदलाव को किस नजरिए से देखता है यह जानने के लिए हमने बात की टैगोर टाउन क्षेत्र की रहने वाली रंजना निगम से बात की।
रंजना निगम 

यह महामारी वैश्विक नहीं हो पाती

रंजना ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए. व बी.एड. की शिक्षा प्राप्त की है और पेशे से एंजेल ब्यूटी स्पा की ब्यूटीशियन व संचालक हैं। एक आत्मनिर्भर व जागरूक महिला होने के नाते वह कोरोना संक्रमण पर अपना अनुभव साझा करते हुए कहती हैं कि कोरोना का पूरी दुनिया में फैलने का एकमात्र कारण जागरुकता का अभाव था। शुरुआती समय पर ही यदि सभी देश जागरूक होकर चेत गए होते तो यह महामारी वैश्विक नहीं हो पाती।

कार्यप्रणाली का तौर तरीका बदला

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच मनुष्य ने ऐसा दौर देखा है जिससे जीवन के तमाम पहलुओं पर उसकी सोच बदल गई है। मास्क का सही व लगातार उपयोग व हाथ धुलने के तरीके व लाभ से संबन्धित जानकारी को जागरूकता के बाद लोगों ने अपनी जीवनशैली से जोड़ दिया है। यह बदलाव साबित करता है कि सेहत के साथ-साथ अब सतर्कता मनुष्य की प्राथमिकता बन गयी है। सरकारी अस्पतालों में आमूलचूल आधुनिक परिवर्तन हुए हैं आगे और भी होंगे क्योंकि निजी अस्पताल कोविड-19 महामारी में खास कारगर साबित नहीं हुए हैं। कॉरपोरेट से लेकर संसद तक की कार्यप्रणाली का तौर तरीका बदला है।

शैक्षणिक ढांचे में डिजिटलीकरण

लॉकडाउन के चलते महीनों स्कूल बंद रहे, ऐसे में ऑनलाइन क्लास से शैक्षणिक ढांचे में डिजिटलीकरण को लेकर जनमानस जागरूक हुआ व उसने उसकी जरूरत व उपयोगिता को समझा है। कोरोना ने हमें वैश्विक मंदी के दौरान आत्मनिर्भरता सिखाई है। जिस तरह भारत की जनता ने जागरूकता व धैर्य के साथ एक-जुट होकर कोरोना का सामना किया वह यह साबित करता है कि हम शायद कहीं अधिक बुरी परिस्थिति में भी जा सकते थे लेकिन हमने जागरूकता की बदौलत स्थिति को बहुत हद तक संभाला हुआ है।

हमें ईमानदार बनना पड़ेगा

रंजना कहती हैं कि हम भविष्य में महामारी के किसी दौर से निपटने को तैयार रहें इसके लिए सरकार और जनता को राष्ट्रीय स्तर पर बदलाव व जागरूकता की आवश्यकता है। देश के प्रति समर्पित सेवाभाव करते कोरोना योद्धाओं के संघर्ष व समर्पण की दुनिया आजीवन आभारी रहेगी। देश के हर नागरिक को भी यह समझना होगा कि प्रकृति संरक्षण के प्रति हमें ईमानदार बनना पड़ेगा। प्रकृति के सिस्टम के साथ खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कानून बनाकर संबंधित जानकारी जागरूकता के साथ जन-जन तक पहुंचानी होगी।
(लेख से संबन्धित विचार स्वतंत्र लेखिका रंजना निगम के हैं।)
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