अंबाला सदर नगरपालिका चुनाव की वैधता पर कानूनी सवाल, हाईकोर्ट एडवोकेट हेमंत कुमार ने उठाए गंभीर मुद्दे

हरियाणा
AI Generated image ( प्रतिकात्मक तस्वीर)

हरियाणा डेस्क: हरियाणा में तीन दर्जन से अधिक शहरी निकायों में आम चुनाव और कुछ में उपचुनाव के लिए मतदान संपन्न हुआ। इनमें अंबाला जिले की अंबाला सदर नगरपालिका परिषद (न.प.) भी शामिल रही, जो प्रदेश के ऊर्जा, परिवहन और श्रम मंत्री अनिल विज का गृह क्षेत्र है।

इस चुनाव में कुल 1,78,370 मतदाताओं में से 93,542 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिससे मतदान प्रतिशत 52.4% रहा। इस बार पहली बार नगरपालिका अध्यक्ष (प्रेसिडेंट) का भी प्रत्यक्ष चुनाव कराया गया। मतगणना 12 मार्च को होगी

चुनाव की वैधता पर कानूनी संकट

हालांकि, चुनाव के बीच ही पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और नगरपालिका कानून विशेषज्ञ हेमंत कुमार ने चुनाव की कानूनी वैधता पर सवाल खड़े किए हैं।

उन्होंने बताया कि अंबाला सदर नगरपालिका परिषद का गठन 11 सितंबर 2019 को हुआ था, जब इसे तत्कालीन संयुक्त अंबाला नगर निगम से अलग किया गया। हालांकि, 2010 से पहले यह एक स्वतंत्र नगरपालिका थी, लेकिन बाद में इसे अंबाला शहर नगर परिषद में मिला दिया गया था।

हेमंत कुमार के अनुसार, हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 की धारा 12(2) के तहत, नवगठित नगर निकाय का पहला आम चुनाव उसकी अधिसूचना के एक वर्ष के भीतर होना आवश्यक था। लेकिन अंबाला सदर न.प. के लिए यह चुनाव 11 सितंबर 2020 तक नहीं कराया गया, जो कानूनन अनिवार्य था।

उन्होंने कहा कि यदि तत्कालीन परिस्थितियों (जैसे कोरोना महामारी) के कारण चुनाव समय पर नहीं हो सका, तो हरियाणा विधानसभा को इस धारा में संशोधन कर समय सीमा को बढ़ाना चाहिए था। लेकिन आज तक ऐसा कोई संशोधन नहीं किया गया

नगर निगम चुनावों में हुआ था संशोधन, नगरपालिका के लिए नहीं

हेमंत कुमार ने बताया कि अगस्त 2020 में हरियाणा नगर निगम (संशोधन) अधिनियम, 2020 पारित किया गया था, जिसके तहत नवगठित नगर निगमों के पहले चुनाव की समय सीमा 5 वर्ष 6 महीने कर दी गई। इसी संशोधन के कारण सोनीपत नगर निगम का पहला चुनाव 27 दिसंबर 2020 को कराया गया

लेकिन इसी तरह का संशोधन हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 में नहीं किया गया, जबकि उन्होंने इस संबंध में तत्कालीन मंत्री अनिल विज, डॉ. कमल गुप्ता, वर्तमान मंत्री विपुल गोयल और राज्य निर्वाचन आयोग को कई बार पत्र लिखे

चुनाव रद्द हो सकता है?

हेमंत कुमार ने चेतावनी दी कि अगर इस कानून में संशोधन नहीं किया गया, तो 11 सितंबर 2020 से अब तक अंबाला सदर न.प. द्वारा किए गए सभी आधिकारिक कार्यों और निर्णयों पर कानूनी संकट खड़ा हो सकता है। किसी भी प्रभावित व्यक्ति या संस्था द्वारा इन चुनावों को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है

उन्होंने कहा कि इस चुनाव की कानूनी वैधता बनाए रखने के लिए तुरंत कानूनी संशोधन आवश्यक है। अगर सरकार ने यह कदम नहीं उठाया, तो अंबाला सदर न.प. के पूरे चुनावी प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है

क्या होगा आगे?

अब देखना यह है कि राज्य सरकार और चुनाव आयोग इस कानूनी चुनौती का क्या समाधान निकालते हैं। यदि कोई कानूनी याचिका दायर होती है, तो अंबाला सदर नगरपालिका चुनाव को रद्द करने तक की नौबत आ सकती है। अधिक जानकारी और अपडेट के लिए जुड़े रहें।

support सहयोग करें

प्रजातंत्र एक राष्ट्रवादी न्यूज पोर्टल है। वामपंथी और देश विरोधी मीडिया के पास फंड की कोई कमी नहीं है। इन ताकतों से लड़ने के लिए अपनी क्षमता अनुसार हमारा सहयोग करें।

Tagged

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *