कांग्रेस का संसद में बेवजह विरोध।

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पिछले दो दिन से कांग्रेस संसद में विरोध प्रदर्शन कर रही है सरकार का उसकी नीतियों का और नियत का।  अच्छी बात है जब कोई अपना पक्ष रखे ओर  दूसरा पक्ष उसे सुने या सुनने के लिए मजबूर हो इसे ही लोकतंत्र कहते है। यह लोकतंत्र की ही विशेषता है जहां  आपको अपने से विपरीत विचार को सुनना भी पड़ेगा और समझना भी। 

कांग्रेस संसद में विरोध कर रही है लेकिन वह अपने विरोधियो और सहयोगियों को ये बताने में विफल रही की वह विरोध क्यों कर रही है ?  संसदीय कार्यमंत्री के बार बार आग्रह पर भी वह साफ़ तर्क रखने में सफल नहीं हुई। वह सरकार पर बदले की कार्यवाही का आरोप लगा रही है। विरोध प्रदर्शन का दौर संसद में तब से ज्यादा बढ़ गया। जब से अदालत ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अदालत में समन किया है और उनकी बेल की अर्जी खारिज कर दी। 

अभी कुछ दिन पहले सरकार को नसीहत देते हुए कांग्रेस के मलिकार्जुन खड़गे जी सरकार को सवैधानिक संस्थओं के सम्मान की बात की थी। परन्तु उसका पालन करना खुद ही भूल गए। 


क्यों विरोध कर रही है कांग्रेस संसद में ?

कांग्रेस संसद में सरकार का विरोध इस लिए कर रही है कि  वह जनता तक यह सन्देश देना चाहती है की सोनिया जी और राहुल जी पर जो यह केस चल रहा है।  वह बीजेपी की बदले की भावना है लेकिन वह न तो इसका तर्कों से संसद में जवाब दे पा रही है और नहीं ही अदालत में। एक बात यंहा यह स्पष्ट करना जरुरी है कि सरकार यह केस अदालत में नहीं लड़ रही है लेकिन 1% मान ले की यह बीजेपी कर रही है तो यह उसका सवैधानिक हक़ है। जिसकी वकालत कांग्रेस कर रही थी। कांग्रेस को थोड़ी सहिस्णुता दिखानी चाहिए। 
जब मामला कोर्ट में है तो इसमें सरकार भी कुछ नहीं कर सकती और आप अपना पक्ष अदालत में रखे, अगर उसके बाद भी आपकी याचिका ख़ारिज हो जाती है तो उसका इल्जाम सरकार पर लगा कर संसद को बाधित नहीं कर सकते। 

एक अनुमान के मुताबिक 1 मिनट संसद का खर्च 2.5  लाख आता है तो 1 घंटे का खर्च होगा 1.5 करोड़  तो आप अंदाजा लगा सकते है कि ये लोग हमारी कमाई का कितना सही उपयोग कर रहे है। संसद में 67 बिल अभी पेंडिंग है। जिसमे लोक सभा में 8 बिल और राजयसभा में 59 बिल अभी पेडिंग है।   
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