नई दिल्ली डैस्क: ‘एक देश एक विधान’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में वक्ताओं ने आर्थिक, सामाजिक, न्याय, शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश में एक विधान लागू किए जाने की वकालत की। श्रीराम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरी जी महाराज ने आज की लड़ाई को कानून की लड़ाई बताया और सचेत किया कि अमृतकाल में जो अनुकूलता देख रहे हैं, उसका उपयोग आवश्यक है, अगर नहीं कर पाए तो यह अवसर दोबारा मिलेगा या नहीं, यह पता नहीं। इसलिए, इस समय सावधान रहने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि भारत धर्म निरपेक्ष नहीं धर्म निष्ठ राष्ट्र है।
यहां आयोजित व्याख्यान में श्रीराम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरी जी महाराज ने कहा कि आज की लड़ाई कानून की लड़ाई है।हमारी शिक्षा पद्धति खत्म करने के लिए अंग्रेजों ने देश में पहला कानून बनाया, इसके बाद धीरे-धीरे ऐसे कानून बनते गए, जिसके जाल में हम फंसते चले गए और गुलामी हमारे ऊपर इतनी छा गई कि हमें गुलामी का ही पता नहीं चला। सबसे पहले गुलामी का पता होना चाहिए, तभी मुक्ति के प्रयास होंगे। बंधन का ही नहीं पता होता तो मनुष्य बंधन को एन्जाय करने लगता है, यह अवस्था आज हिंदू समाज की है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने 80 प्रतिशत समस्याओं के लिए देश की कानून व्यवस्था काे जिम्मेदार ठहराया और कहा कि देश काे पीछे ले जाने वाले कानून को बदलने की आवश्यकता है।देश में एक विधान जरूरी है।एक देश एक नागरिक संहिता,
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने पर धार्मिक व सामाजिक कुरीतियां खत्म हो जाएंगी।पूरे देश में शिक्षा व कानून व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है।दसवीं कक्षा तक एक पाठ्यक्रम, झूठ काे दंडनीय अपराध बनाने, गुलामी के प्रतीक हटाने के लिए री-नेमिंग कमीशन बनाने, पूजास्थल कानून बनाने को देश की जरूरत बताया। मंच संचालन कवि राजेश चेतन ने किया।कार्यक्रम में जगदीश मित्तल, संजीव गोयल, पवन कंसल, विष्णु गुप्ता, प्रकाश चंद जैन, राजेंद्र जैन, जगदीश मित्तल, प्रकाश चंद जैन, दिनेश कुमार गुप्ता आदि मौजूद रहे।