नेशनल डेस्क (रवि प्रताप सिंह): भारत और भारतीयों के इतिहास में 5 अगस्त का दिन विशेष मायने रखता है। क्योंकि इसी दिन 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्म भूमि पर राम मंदिर का शिलान्यास किया था। भारतीय समाज के लिए कई मायनों में ऐतिहासिक है। क्योंकि पिछले 500 वर्षों से हिंदू समाज श्रीराम मंदिर भूमि के लिए संघर्ष कर रहा था। आईए इन 20 बिंदुओं के माध्यम से श्रीराम जन्मभूमि के लिए हिंदू समाज के सतत संघर्ष की वीर गाथा को समझने का प्रयास करते हैं।
- बाबर ने 1528 में अपने सेनापति मीर बाकी को अयोध्या के भव्य राम मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया। इतिहासकार कानिंघम के अनुसार, श्रीराम मंदिर को बचाने के लिए हिंदुओं ने जान की बाजी लगा दी थी। 1 लाख 74 हजार हिंदू वीरों के बलिदान के बाद ही मुगल मंदिर को हानि पहुंचा सके थे। मंदिर इतना मजबूत बना हुआ था कि तोड़ने के लिए तोप के गोलो का इस्तेमाल करना पड़ा।
- मंदिर को नष्ट करने के बाद जलालशाह ने हिंदुओं के खून का गारा बनाकर लखौरी ईंटों से बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था।
- भीठी नरेश महताब सिंह को जब मंदिर पर आक्रमण की जानकारी मिली तो उन्होंने बदरीनाथ तीर्थयात्रा रद्द कर दी और सैनिकों के साथ मीर बाकी से जा भिड़े। 17 दिनों तक चली भीषण जंग में दोनों ओर के असंख्य सैनिक मारे गए। अंत में महताब सिंह समेत रामभक्त वृद्ध केहरी भी वीरगति को प्राप्त हुए।
- हंसवर रियासत के राजा रणविजय सिंह के कुल पुरोहित देवदीन पांडे ने 70 हजार योद्धाओं के साथ बाबर की सेना से श्रीराम जन्म भूमि के लिए संघर्ष किया। युद्ध में बूरी तरह से घायल हो जाने के बावजूद अनेक मुगल सैनिकों को मौत के घाट उतारा और अंत में वीरगति को प्राप्त हुए।
- हंसवर रियासत के राजा रणविजय सिंह को अपने पुरोहित देवदीन पांडे के मृत्यु का समाचार मिला, तो उन्होंने अपनी महारानी जय कुंवरि को सत्ता सौंप दी और खुद 25 हजार सैनिकों को लेकर श्रीराम जन्म भूमि मुक्त कराने के लिए निकल पड़े और अंत में वीरगति को प्राप्त हुए।
- राजा रणविजय सिंह के बलिदान के बाद महारानी जय कुंवरि ने आनंद संप्रदाय के महंत स्वामी महेश्वरनंद के साथ मिलकर श्रीराम जन्म भूमि का संघर्ष जारी रखा। स्वामी महेश्वरनंद के नेतृत्व में मठो, मंदिरों और अखाड़ों के असंख्य नागा संप्रदायी, गौरक्षपंथी, दिगंबर, निर्मोही, निर्मले और निर्वाणी साधुओं ने भी शस्त्र उठा लिए। इन्होंने शत्रुओं पर छापा मार युद्ध नीति अपनाई। मीर बाकी इतना डर गया कि ताशकंद भाग गया।
- हुमायू के काल में भी महारानी जयकुंवरि और स्वामी महेश्वरानंद लगातार संघर्ष करते रहे। इन्हें 10वें युद्ध में सफलता मिली और श्रीराम जन्मभूमि दो-तीन सालों तक मुगलों से मुक्त रही। बाद में दोनों योद्धा मुगलों की विशाल सेना से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
- अकबर के समय कोयंबतूर से आए रामानुज संप्रदाय के स्वामी बलराम आचार्य ने श्रीराम जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए 20 युद्ध लड़े। बाद में बीरबल और टोडरमल की सलाह पर अकबर ने वहां एक छोटा मंदिर बनाने की अनुमति दे दी। शाहजहां के काल तक उस मंदिर में निर्विघ्न पूजा होती रही।
- 90 वर्ष निर्विघ्न पूजा होने के बाद औरंगजेब ने अपने सिपहसलार जांबाज खां को सेना समेत मंदिर नष्ट करने भेजा। अयोध्या के अहल्या घाट पर परशुराम मठ था। वहां बाबा वैष्णवदास रहते थे। उनके साथ चिमटाधारी साधुओं की एक विशाल शिष्य मंडली थी। इन्होंने चिमटों और त्रिशूलों के साथ मंदिर की रक्षा करी और जांबाज खां को उलटे पांव भागना पड़ा।
- औरंगजेब ने दूसरी बार सैयद हसन अली को विशाल सेना के साथ मंदिर नष्ट करने भेजा। बाबा वैष्णवदास ने समय रहते गुरू गोविंद सिंह जी से संपर्क साधा। वे सेना समेत मंदिर की रक्षा के लिए अयोध्या पहुंच गए। उन्होंने साधु सेना के साथ मिलकर मुगल सेना को धूल चटा दी। हसन अली सआदतगंज के मोर्चे पर मारा गया।
- 1664 में औरंगजेब ने फिर एक विशाल सेना मंदिर तोड़ने के लिए भेजी। लेकिन तब तक गुरु गोविंद सिंह भी लौट चुके थे। मुगल सेना ने चबूतरे पर बने लघु मंदिर को तोड़कर गड्ढा बना दिया। लेकिन श्रद्धालु वहीं आकर पूजा करते रहे।
- अमेठी के राजा गुरुदत्त सिंह और पिपरा के राजकुमार सिंह ने नवाब सादत अली से श्रीराम मंदिर के लिए संघर्ष जारी रखा। हिंदुओं के लगातार हमलों से तंग आकर नवाब ने पूजा और नमाज दोनों की अनुमति दे दी।
- आजादी से पहले एक अंग्रेज सिपाही अब्दुल बरकत ने फैजाबाद जिलाधीश केके नायर के सामने बयान दिया कि 22-23 दिसंबर 1941 की रात करीब दो बजे उसने मस्जिद के अंदर हल्की रोशनी देखी, जो बाद में सुनहरी हो गई। इसके बाद घुंघराले बालों वाले चार-पांच साल के एक सुंदर बालक को देखकर हैरान हो गया। थोड़ी देर बाद देखता है कि मुख्य द्वार का ताला टूटा हुआ है, और मस्जिद में हिंदुओं की भीड़ एक सिंहासन पर मूर्ति रखकर पूजा कर रही है।
- राम मंदिर आंदोलन के दौरान मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि विवादित ढांचे पर परिंदा भी पर नहीं मार सकता। 30 हजार से ज्यादा सुरक्षाकर्मी अयोध्या में तैनात कर दिए। लेकिन कोलकाता के कोठारी बंधुओं ने मुलायम सिंह के दावे की हवा निकाल दी। 23 साल के रामकुमार कोठारी और 20 साल के शरद कोठारी राम मंदिर के प्रति इतने समर्पित थे कि 200 किलोमीटर का रास्ता उन्होंने पैदल ही तय किया था। क्योंकि अयोध्या पहुंचने वाले सभी साधन रोक दिए गए थे। 30 अक्टूबर 1990 को विवादित ढांचे पर सबसे पहले चढ़ने वाला युवक शरद कोठारी था। फिर बड़ा भाई रामकुमार कोठारी भी ढांचे पर चढ़ गया और भगवा ध्वज लहरा दिया।
- 30 अक्टूबर 1990 को विवादित ढांचे से सीआरपीएफ के जवानों ने दोनों भाइयों की पीटकर खदेड़ दिया। लेकिन इसी बीच पुलिस कर्मियों ने कार सेवकों पर फायरिंग शुरू कर दी। फायरिंग से बचने के लिए दोनों भाई लाल कोठी वाली गली में छिप गए। दोनों भाईयों को पुलिसकर्मियों ने बाहर निकालकर बेरहमी से गोली मारकर हत्या कर दी। सरकारी आंकड़ों में शहीद कारसेवकों की संख्या सिर्फ 5 बताई गई है। लेकिन मृतकों की संख्या इससे कई अधिक थी।
- श्रीराम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अयोध्या व आसपास के 105 गांवों के सूर्यवंशी क्षत्रिय परिवारों ने 500 साल बाद सिर पर पगड़ी और पैरों में चमड़े के जूते पहनकर अपने प्रण को पूरा किया।दरअसल, इनके पूर्वजों ने 16वीं सदी में मंदिर बचाने के लिए मुगलों से युद्ध लड़ा था। लेकिन वे युद्ध हार गए थे। बता दें कि ठाकुर गजसिंह के नेतृत्व में मुगलों जंग हुई थी। इस जंग में ठाकुर गजसिंह हार गए थे। हारने के बाद गजसिंह ने श्रीराम मंदिर जन्मभूमि पर कब्जा होने तक पगड़ी व जूते न पहनने की प्रतिज्ञा ली थी। इसी प्रतिज्ञा का पालन उनकी आने वाली पीढ़ियों ने भी किया।
- श्रीराम मंदिर जन्म भूमि के लिए हिंदू समाज ने 78 धर्म युद्ध लड़े, जिनमें 3 लाख 50 हजार से ज्यादा हिंदू वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।
- बता दें कि बाबर के काल में 5 धर्मयुद्ध, हुमायूं काल में 10, अकबर काल में 20, औरंगजेब काल में 30, नवाब सादत अली के काल में 5, नासिरुद्दीन हैदर के समय 3, वाजिदअली के समय 2, अंग्रेजों के समय 2 और पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के कार्यकाल में एक धर्मयुद्ध लड़ा गया था।
- 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्म भूमि पर राम मंदिर के लिए शिलान्यास किया था। इसके साथ भव्य श्रीराम मंदिर की नींव पड़ गई थी।
- 500 साल तक हिंदू समाज के सतत संघर्ष के बाद आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है। मंदिर की ऊंचाई 161 फीट रहेगी। सिर्फ नींव में ही 2 लाख ईंटे लगेगी जिन पर श्रीराम लिखा होगा। सीढ़ियों की चौड़ाई 16 फीट रहेगी। मंदिर में 5 गुंबद होगे। पूरा मंदिर 360 पिलर पर टिका होगा। इसमें गर्भ गृह, कुदु मंडप, नृत्य मंडप और रंग मंडप होगा।