- वायुसेना के विमान की आपात लैंडिंग के लिए पहली बार राष्ट्रीय राजमार्ग का इस्तेमाल
- ईएलएफ सभी प्रकार के भारतीय वायुसेना के विमानों की लैंडिंग की सुविधा प्रदान करेगा
- कोविड-19 प्रतिबंधों के बावजूद सिर्फ 19 महीनों में निर्माण पूरा हुआ हवाई पट्टी का
- वायुसेना के लिए 56 सी-295 एमडब्ल्यू परिवहन विमान की खरीद को कैबिनेट की मंजूरी ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक बड़ा कदम
रक्षा डेस्कः राजस्थान के बाड़मेर में एनएच-925ए पर सट्टा-गंधव खंड के पास भारतीय वायुसेना के लिए वीरवार को आपातकालीन लैंडिग सुविधा (ईएलएफ) यानी सड़क पर हवाई पट्टी का उद्घाटन किया। उद्घाटन के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी सी-130जे से बाड़मेर पहुंचे। भारतीय वायुसेना के लिए इस हवाई पट्टी का निर्माण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की देखरेख में रिकॉर्ड 19 महीनों में किया गया। यह लैंडिंग स्ट्रिप भारतीय वायुसेना के सभी प्रकार के विमानों की लैंडिंग की सुविधा प्रदान करने में सक्षम होगी।
राजनाथ सिंह ने कोविड-19 प्रतिबंधों के बावजूद हवाई पट्टी को रिकॉर्ड समय में पूरा करने के लिए भारतीय वायुसेना, NHAI और निजी क्षेत्र की सराहना की। कहा कि यह कई विभागों और मंत्रालयों, सरकारी और निजी क्षेत्र और नागरिक और रक्षा विभागों के बीच समन्वय का एक बेहतरीन उदाहरण है। रक्षा मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास ईएलएफ को राष्ट्र की एकता और संप्रभुता की रक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का एक सजीव उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, “यह राजमार्ग और लैंडिंग क्षेत्र पश्चिमी सीमा के साथ बुनियादी ढांचे और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगा। इस तरह के आपातकालीन क्षेत्र हमारे बलों की अभियानगत और नागरिक सहायता को और अधिक प्रोत्साहन प्रदान करेंगे।यह प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने में भी अहम भूमिका निभाएगा।”
19,300 फीट पर दुनिया की सबसे ऊंची सड़क
रक्षा मंत्री ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। अटल सुरंग, रोहतांग का उद्घाटन और पूर्वी लद्दाख के उमलिंगला दर्रे में 19,300 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंची वाहन चलाने योग्य सड़क का निर्माण इसके कुछ उदाहरण हैं।
भारत खरीदेगा 56 सी-295 एमडब्ल्यू परिवहन विमान
भारतीय वायु सेना के लिए 56 सी-295 एमडब्ल्यू परिवहन विमान की खरीद के लिए कैबिनेट की मंजूरी का उल्लेख करते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कल्पना के अनुरूप यह निर्णय ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक बड़ा कदम था, क्योंकि विमान का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अंतर्गत भारत में किया जाएगा।
इस योजना की कुल लागत 765.52 करोड़ रुपये है
NHAI ने भारतीय वायु सेना के लिए तीन किलोमीटर के खंड को ईएलएफ के रूप में विकसित किया है। यह भारतमाला परियोजना के तहत गगरिया-बखासर और सट्टा-गंधव खंड के नव-विकसित टू-लेन पक्के हिस्से का एक भाग है जिसकी कुल लंबाई 196.97 किलोमीटर है। इसकी लागत 765.52 करोड़ रुपये है। यह काम जुलाई 2019 में शुरू हुआ और जनवरी 2021 में पूरा हुआ ।