नेशनल डेस्कः मुंबई में मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटकों से भरी कार मामले में गिरफ्तार सचिन वाझे पर NIA (National Investigation Agency) का शिकंजा कसता जा रहा है। NIA जांच में पता चला है कि सचिन वाझे ने सबूत मिटाने की कोशिश की थी। एनआईए के अनुसार, 25 फरवरी के बाद से 13 मार्च को गिरफ्तार होने से पहले तक सचिन अपने खिलाफ हर सबूत को मिटाने की कोशिश करता रहा।
मालूम हो कि सचिन वाझे मुंबई क्राइम ब्रांच की क्राइम इंटेलीजेंस यूनिट (सीआईए) में तैनात था। व्यापारी मनसुख हिरेन की हत्या और विस्फोटको से लदी स्कॉर्पियो मामलें में केस के चलते मुंबई पुलिस ने वाझे को सस्पेंड कर दिया है। एनआईए ने कार्रवाई करते हुए सचिन वाझे का दफ्तर खंगाला और वहां से जरूरी दस्तावेज समेत इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अपने कब्जे में ले लिए, जिसमें लैपटॉप, मोबाइल और आइपैड शामिल है।
कोर्ट ने खारिज की वाझे की याचिका
गिरफ्तारी के विरोध में वाझे की वकील सजल यादव और सनी पुनमिया ने कोर्ट में याचिका दी थी जिसे कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दिया। वाझे के वकीलों ने कोर्ट में तर्क दिया था कि गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर सचिन को कोर्ट में पेश नहीं किया गया। इसकों नकारते हुए सरकारी वकील सुनील गंसाल्वेस ने बताया कि उन्हें रविवार को 2.45 बजे कोर्ट में पेश किया गया।
वाझे ने सीसीटीवी फुटेज कर दी गायब
एनआईए को जांच में मिल रहे सबूत सचिन वाझे की भूमिका पर सवाल खड़े कर रहे हैं। मुकेश अंबानी के घऱ एंटीलिया के बाहर विस्फोटकों से भरी स्कॉर्पियो कार की चोरी होने की रिपोर्ट मुंबई के विक्रोली पुलिस थाने में 18 फरवरी को दर्ज कराई गई थी। यह कार सचिन वाझे की सोसायटी साकेत में 24 फरवरी तक खड़ी देखी गई। हिरने की पत्नी ने बताया कि वाझे को गत वर्ष नंवबर में कार इस्तेमाल को दी थी। फरवरी के पहले हफ्ते में वाझे ने अपने ड्राइवर के हाथों कार को लौटा दिया था। इसके कुछ दिन बाद ही गाड़ी चोरी हो गई थी।
शिव सेना से जुड़े रहे हैं वाझे
वर्ष 1990 में बतौर सब-इंसपेक्टर महाराष्ट्र पुलिस में शामिल हुए सचिन वाझे का प्रमोशन बहुत तेजी से हुआ। 03 मार्च, 2004 को ख्वाजा युनिस की कस्टोडियल मौत के मामले में सचिन वाझे समेत 14 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया। ख्वाजा युनिस दिसंबर, 2002 में गोरखपुर में हुए बम धमाकों का आरोपी था। सचिन वाझे ने महाराष्ट्र सरकार से अपनी बर्खास्तगी रद्द करने की कई बार अपील की। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इन अपीलों को रद्द कर दिया। इसके बाद सचिन वाझे ने 30 नवंबर, 2007 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वाझे वर्ष 2008 में शिव सेना में शामिल हो गए। महाराष्ट्र में शिव सेना की सरकार आने के बाद सचिन वाझे का पुलिस से बर्खास्तगी रद्द कर दी गई।