आज हम वैज्ञानिक युग में जी रहे हैं। 21वी सदी बोलते हुए हम गर्व से सीना चौड़ा कर लेते हैं। तर्कों और कुतर्कों के बीना हम किसी भी बात को मानने के लिए तैयार नहीं होते। हम आज अपने आपको बुद्धिमान कहते हैं। विज्ञान को सभी चीजों का आधार मानकर, हर छोटी बड़ी चीज को विज्ञान के तुला में तौलते हैं और जब कुछ प्रश्नों का जवाब विज्ञान नही दे पाता तो कहते हैं, यह तो प्रकृति का चमत्कार है।
चमत्कार और विज्ञान एक-दूसरे से ऐसे जुड़े हैं जैसे उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव। विज्ञान चमत्कार को नहीं मानता लेकिन चमत्कार विज्ञान को मानता है। वो उस असीम शक्ति से जुड़ा है जो प्रकृति के सभी नियमों से ऊपर है।
क्या विज्ञान ऐसी किसी घटना को चमत्कार कहेगा जिसमें बुद्धिमान मनुष्यों से पहले जानवरों को प्राकृतिक आपदाओं का अनुभव हो जाता है। दक्षिणी तटों पर जब सुनामी आई तो उसके पहले वहां मौजूद पशु-पक्षिय़ों ने असमान्य व्यवहार करना शुरु कर दिया लेकिन ये असमान्य व्यवहार, हमारी नजरों में था, उनकी नजरो मे नहीं.. क्योंकि उन्हें पूर्वानुमान हो चुका था कि कुछ अनहोनी होने वाली है और वह किससे और किस ओर होने वाली है। वहां मौजूद हाथी अपने सवारों सहित ऊचें स्थानों की ओर दौड़ पड़े। जिससे वे खुद को उस सुनामी से बचा पांए।
अपने आपको बौद्धिक कहने वाला इंसान उन जानवरों के व्यवहारिक ज्ञान और छिपी हुई शक्तिओं से हार गया। ( क्या हम सही मायनों मे बुद्धिमान हैं )
मैं डिस्कवरी चैनल पर एक रिपोर्ट देख रहा था। उसमें एक विशेष प्रजाति का तोता फल खाकर एक विशेष प्रकार की मिट्टी को खाते हैं। जब उनके इस व्यवहार का अध्ययन किया गया तो पता चला कि वे जो फल खाते हैं, वो जहरिले होते हैं। उसके प्रभाव को खत्म करने के लिए ये तोते उस विशेष प्रकार की मिट्टी का सेवन करते हैं। समझने वाली बात है कि उन्हें इस का ज्ञान कैसे हुआ, पहले तो यही कि वे फल जहरिले हैं दुसरा उसका उन पर दुष्प्रभाव पड़ेगा और यह केवल तोतों तक सीमित नही हैं। अन्य पशु-पक्षी भी कुछ इसी प्रकार का व्यवहार करते हैं, विशेष परिस्थितियों में।
लेकिन आज का आधुनिक मानव क्यों इस काबिल नहीं हैं कि वह इन सब विधाओ को जान सके और अपने मन को नियंत्रित कर सही फैसले ले सके। आज हम आधुनिक मानव का तमगा अपने गले में लटकाए घुम रहे हैं। लेकिन प्रकृति और सम्पूर्ण मानव समाज को अगर किसी से खतरा है तो इसी आधुनिक मानव से। यह सब कुछ जानता है लेकिन अपने स्वार्थ सिद्धी के लिए न केवल प्रकृति को बल्कि अपने वर्तमान के साथ-साथ भविष्य को भी विनाश की ओर ले जा रहा है। अपनी सीमित बुद्धि और क्षमताओं से पशु-पक्षी एक श्रेष्ठ प्रकृति प्रेमी का आचरण करते हैं किंतु आधुनिक मानव नहीं…