
नेशनल डेस्कः स्वेज नहर में जाम लगने से विश्व को रोजाना अरबों रूपयों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। भारत ने पैदा हुई इस स्थिति से निपटने के लिए 4 सूत्री योजना बनाई है। भारत सरकार के वाणिज्य विभाग के लॉजिस्टिक्स डिवीजन द्वारा शनिवार को बैठक बुलाई गई। इसमें योजना की रूपरेखा तय गई। इस बैठक में विभाग के बड़े अधिकारियों शामिल हुए। मालूम हो कि बीते 23 मार्च से स्वेज नहर में जाम की स्थिति बनी हुई है। वहां एक विशाल जहाज फंसा हुआ है। जिसे 25 भारतीयों का एक दल चला रहा है।
ये है चार सूत्री योजना
- कार्गो की प्राथमिकता तय करना: एफआईईओ, एमपीडा और एपीडा संयुक्त रूप से जल्द खराब होने वाले कार्गो की खासकर पहचान करेंगे और प्राथमिकता के आधार पर उनके परिचालन के लिए शिपिंग लाइनों के साथ मिलकर काम करेंगे।
- माल भाड़े की दरें: सीएसएलए ने यह आश्वासन दिया है कि मौजूदा अनुबंधों के अनुरूप ही माल भाड़े की दरों को मान्य किया जाएगा। शिपिंग लाइनों से संकट की इस घड़ी के दौरान माल ढुलाई की दरों में स्थिरता बनाए रखने का अनुरोध किया गया है। यह महसूस किया गया कि यह स्थिति अस्थायी है और इसका लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव होने की संभावना नहीं है।
- बंदरगाहों को परामर्श: जाम के खत्म होते ही खासतौर पर जेएनपीटी, मुंद्रा और हजीरा के बंदरगाहों पर कुछ बंचिंग होने का अनुमान है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने इन बंदरगाहों को एक परामर्श जारी करने का आश्वासन दिया है। ताकि व्यवस्था बेहतर हो सके और आगामी व्यस्त अवधि के दौरान कुशल संचालन सुनिश्चित हो सके।
- मार्गों के पुनर्निर्धारण (री-रूटिंग) से संबंधित निर्णय: केप ऑफ गुड होप के रास्ते जहाजों के मार्गों के पुनर्निर्धारण (री-रूटिंग) के विकल्प का पता लगाने के लिए सीएसएलए के जरिए शिपिंग लाइनों को सलाह दी गई। इस तथ्य को रेखांकित किया गया कि इस तरह के मार्गों के पुनर्निर्धारण (री-रूटिंग) में आमतौर पर 15 दिन का अतिरिक्त समय लगता है।

20 करोड़ डॉलर का व्यापार हो रहा है प्रभावित
बीते 23 मार्च से स्वेज नहर में बनी जाम की स्थिति से वैश्विक व्यापार पर गंभीर असर पड़ रहा है। इस मार्ग का उपयोग उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और यूरोप को 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार होता है। इसमें फर्नीचर, चमड़े का सामान सहित पेट्रोलियम उत्पाद, कार्बनिक रसायन, लोहा एवं इस्पात, ऑटोमोबाइल, मशीनरी, कपड़ा एवं कालीन, हस्तशिल्प आदि शामिल हैं।
200 से अधिक जहाज हैं फंसे
स्वेज नहर के उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर 200 से अधिक जहाज इंतजार कर रहे हैं। करीब 60 जहाज रोजाना इस कतार में जुड़ रहे हैं। यदि इस नहर में आए अवरोध को दूर करने के प्रयासों के नतीजे मिलने में दो दिन का और समय लगता है तो इससे करीब 350 जहाजों के फंसने की संभावना है। अनुमान है कि इस बैकलॉग को समाप्त होने में करीब 7 दिन का समय लगेगा। गया।