नेशनल डेस्कः हरियाणा में सोनीपत के सिंघु बॉर्डर पर एक दिल दहलाने वाली घटना को निहंग सिखों ने शुक्रवार को अंजाम दिया। यहां एक युवक के पहले हाथ-पैर काटे, फिर उसे तड़प-तड़प कर मरने के लिए छोड़ दिया। मरने वाला युवक अमृतसर के तरनतारन का रहने वाला बताया जा रहा है। इसकी उम्र 35 वर्ष है। दलित समुदाय से आने वाले इस मृतक युवक के तीन छोटे-छोटे बच्चें हैं।
पुलिस के मुताबिक, कुडली पुलिस स्टेशन को सुबह 5 बजे इस घटना की सूचना मिली थी। इस दिल दहलाने वाली घटना को तड़के 3 बजे अंजाम दिया गया। इस संबंध में सोशल मीडिया पर भी कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। तहकीकात की जा रही है। दोषियों पर जल्द कार्रवाई होगी। हत्या की वजह धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी बताया जा रहा है। पीड़ित युवक का शव आंदोलनकारियों के मुख्य मंच के पास ही बेरिकेडिंग से लटका हुआ मिला है।
संयुक्त किसान मोर्चे ने एजेंसियों को ठहराया जिम्मेदार
संयुक्त किसान मोर्चे के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने घटना की निंदा की है। साथ ही किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए सरकारी एजेंसियों के हाथ होने की संभावना जताई है। संयुक्त किसान मोर्चे ने कहा कि आरोपी निहंग समूह हमारे साथ नहीं है। यहीं पर सवाल उठता है जब वह आपके साथ नहीं हैं तो वह धरनास्थल पर क्या कर रहे हैं? इसका जवाब देने से संयुक्त किसान मोर्चे के नेता बचते रहे।
घटना स्थल पर लगे हैं आतंकी भिंडरावाले के पोस्टर
जहां पर यह घटना हुई उस स्थल पर आतंकी भिंडरावाले के पोस्टर भी लगे हैं। केवल वहीं नहीं बल्कि वहां बने कई टेंटों के एंट्री प्वाइंट पर भिंडरावले के पोस्टर हैं। खुद को खालिस्तानी कहने पर सरकार से सवाल करने वाला संयुक्त किसान मोर्चा ऐसी किसी भी टेंट को हटाने की हिम्मत नहीं करता। वहीं, निहंग सिख बलवान सिंह का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जहां वह धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी होने पर ऐसा दोबारा करने की धमकी दे रहा है।
सरकार के ढिले रवैये पर भी उठता है सवाल
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के आंदोलनकारियों या अराजकतावादियों के प्रति ढीले रवैये पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं। लोकतंत्र में अपने अधिकारो के नाम पर आंदोलनकारियों ने सड़कों पर बैठे हैं। जन प्रतिनिधियों के साथ मारपीट हो या उनके किसी कार्यक्रम में बाधा डालनी हो, तथाकथित किसान अपने अधिकारों के नाम पर यह सब कर रहे हैं। लेकिन दूसरे के लोकतांत्रिक अधिकारों की उन्हें चिंता नहीं है। पिछले 11 महीने में ऐसी अनेक घटनाएं हुई जिनमें खट्टर सरकार की तथाकथित आंदोलनकारियों के प्रति कार्रवाई के नाम पर ढिला रवैया ही सामने आया है।
धरनास्थल पर पहले भी हो चुकी हैं आपराधिक घटनाएं
धरनास्थल पर यह कोई पहली आपराधिक घटना नहीं हुई है। इससे पहले भी कईं आपराधिक घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन हर बार संयुक्त किसान मोर्चा उन सभी से पल्ला झाड़ चुका है। पश्चिम बंगाल से आई युवती के साथ रेप हो या धरनास्थल पर ही किसान को आग के हवाले कर देना, या धरनास्थल पर गोली चलना। इन सब मामलों में पुलिस ने अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
विपक्षी नेताओं की चुप्पी पर भी उठते हैं सवाल
किसी भी घटना पर हाय-तौबा मचाने वाला विपक्ष, इस मामलें में चुप्पी साधे बैठा है। कांग्रेसी नेता राहुल गांधी ने अभी तक इस मामले में कुछ नहीं कहा है। सबसे बड़ी बात है कि यहां पीड़ित युवक दलित है। उसके बाद भी अमृतसर के तरनतारन में अभी तक किसी भी विपक्षी नेता के जाने की खबर सामने नहीं आई है। तथाकथित दलितों के मसीहा चंद्रशेखर रावण भी दिखाई नहीं दे रहे। लखीमपुर जाने वाले किसान नेता राकेश टिकैत का भी बयान अभी तक सामने नहीं आया है। इससे साफ है कि ना किसानों की हक की बात है ना दलितों के, ये सारे तथाकथित दलित, किसान नेता अपनी राजनीतिक क्षमता बढ़ाने में जुटे हैं।
सिंघु बॉर्डर पर उस रात क्या हुआ था? Video में देखिए सिलसिलेवार घटनाक्रम