नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग और अफ्रीका एवेन्यू स्थित रक्षा कार्यालय परिसर का उद्घाटन किया। उन्होंने अफ्रीका एवेन्यू स्थित रक्षा कार्यालय परिसर का दौरा भी किया। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत डिफेंस से जुड़े ये दोनों ऑफिस भारतीय सेना की आधुनिक जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हैं। इसमें एक साथ करीब 7 हजार सेना के अफसर बैठकर काम कर सकते हैं। इनकी कुल लागत 775 करोड़ रुपये है। इसमें 1500 कारों की पार्किंग का स्पेस भी है। बता दें कि अभी तक द्वितीय विश्व युद्ध में बने अस्थायी निर्माण में सेना के अफसर काम करने को मजबूर थे। हालात इतनी दयनीय थी कि भारतीय सेना के अफसर अस्तबल में बैठकर काम कर रहे थे जिन्हें अंग्रेजों ने अपने घोड़ों के लिए बनाए थे।
अस्थायी ढांचों में बैठने को मजबूर थे सेना के अफसर
पीएम मोदी ने कहा कि आज परिसरों के उद्घाटन से आजादी के 75वें वर्ष में देश अपनी राजधानी को नये भारत की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुसार विकसित करने की तरफ एक और कदम बढ़ गया है। उन्होंने अफसोस जताया कि दशकों से रक्षा सम्बन्धी कार्यों को द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान बने अस्थायी ढांचों में चलाया जाता रहा जिनमें अस्तबलों व बैरकों को ध्यान में रखकर बनाया गया था। उन्होंने कहा, “यह नया रक्षा कार्यालय परिसर हमारी सेनाओं के कामकाज को अधिक सुविधाजनक, अधिक प्रभावी बनाने के प्रयासों को और सशक्त करने वाला है।”
12 महीने के रिकॉर्ड टॉइम में हुआ निर्माण
पीएम ने कहा, “रक्षा कार्यालय परिसर का काम जिसे 24 महीने में पूरा किया जाना था, वह महज 12 महीने के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया। वह भी तब जब कोरोना से पैदा हुई परिस्थितियों के बीच श्रम से लेकर बाकी तमाम चुनौतियां सामने थीं। इस परियोजना से कोरोना काल में सैकड़ों श्रमिकों को रोजगार मिला। पीएम ने इसका श्रेय सरकार के कामकाज में एक नई सोच और दृष्टिकोण को दिया। उन्होंने कहा, “जब नीतियां और इरादे स्पष्ट हों, इच्छा शक्ति मजबूत हो और प्रयास ईमानदार हों, तो सब कुछ संभव है।”
62 की जगह 13 एकड़ में फैला है नया रक्षा परिसर
पीएम मोदी ने कहा कि ये जो डिफेंस ऑफिस कॉम्प्लेक्स बनाए गए हैं, ये वर्क-कल्चर में आए बदलाव और सरकार की प्राथमिकता का प्रतिबिंब हैं। ये प्राथमिकता है, उपलब्ध लैंड का सदुपयोग और सिर्फ लैंड ही नहीं, हमारा ये विश्वास है और हमारा प्रयास है कि हमारे जो भी रिसोर्सेज हैं, हमारी जो भी प्राकृतिक संपदाएं हैं उसका optimum Utilization होना चाहिए। अनाप-शनाप ऐसी संपदा की बर्बादी अब देश के लिए उचित नहीं है। और इस सोच के परिणामस्वरूप सरकार के अलग-अलग डिपार्टमेंट के पास जो जमीनें है उनके Proper और optimum Utilization पर परफेक्ट प्लानिंग के साथ आगे बढ़ने पर बल दिया जा रहा है।
नए परिसर करीब 13 एकड़ भूमि में बने हैं। दिल्ली जैसे इतने महत्वपूर्ण जगह पर 62 एकड़ भूमि में इतनी विशाल जगह पर ये जो हटमेंस बने हुए थे, उसको वहां से शिफ्ट किया और उत्तम प्रकार की आधुनिक व्यवस्था सिर्फ 13 एकड़ भूमि में निर्माण हो गया। देश की संपत्ति का कितना बड़ा सदुपयोग होरहा है यानि इतनी बड़ी और आधुनिक सुविधाओं के लिए पहले के मुकाबले लगभग 5 गुना कम भूमि का उपयोग हुआ है।
सेंट्रल विस्टा को लेकर विपक्ष पर साधा निशाना
पीएम मोदी ने कहा कि जो लोग सेंट्रल विस्टा के प्रोजेक्ट के पीछे डंडा लेकर पड़े थे वे बड़ी चतुराई से बड़ी चालाकी से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का यह भी एक हिस्सा है। सात हजार से अधिक सेना के अफसर जहां काम करते हैं वो व्यवस्था विकसित हो रही है, इस पर बिल्कुल चुप रहते थे क्योंकि उनको मालूम था जो भ्रम फैलाने का इरादा, झूठ फैलाने का इरादा है, जैसे ही यह बात सामने आएगा तो फिर उनकी सारी गपबाजी चल नहीं पाएगी। लेकिन आज देश देख रहा है कि सेंट्रल विस्टा के पीछे हम कर क्या रहे हैं।