भारतीय नौसेना करेगी सबसे बड़ा समुद्री रक्षा अभ्यास, जानिए कैसे हुई शुरुआत

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रक्षा डेस्कः भारतीय नौसेना हर दूसरे वर्ष होने वाले समुद्री रक्षा अभ्यास सी-विजिल-21 के दूसरे संस्करण का आयोजन 12 से 13 जनवरी के बीच करेगी। इसके पहले संस्करण की शुरुआत जनवरी, 2019 में हुई थी। यह अभ्यास समुद्र के तटवर्ती क्षेत्रों से लगते देश के 13 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की करीब 7516 किलोमीटर सीमाओं में होगा। साथ ही इसमें मत्स्य पालने करने वाले और तटवर्ती इलाकों के रहने वाले समुदाय भी शामिल होंगे। इसका कोआर्डिनेशन भारतीय नौसेना करेगी। बता दें कि मुंबई पर 26 नंवबर, 2008 को आतंकी हमला हुआ था। आतंकी समुद्री मार्ग से ही मुंबई में दाखिल हुए थे।

परखी जाएगी नौसेना की ताकत

इस बार रक्षा अभ्यास में भौगोलिक क्षेत्र, संबंधित लोगों की संख्या अधिक है। अभ्यास में शामिल होने वाले भागीदारी की संख्या को देखते हुए इस का दायरा काफी बड़ा है। इस अभ्यास का दायरा बड़ा होने से हमें क्या हासिल होगा। इसका प्रमुख जवाब है कि भारतीय नौसेना थिएटर लेवल अभ्यास ट्रोपेक्स (थिएटर लेवल रेडिनेस ऑपरेशनल एक्सराइज) की दिशा में कदम उठा रही है। सी-विजिल और ट्रोपेक्स अभ्यास मिलकर समुद्री इलाकों की चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से सक्षम है। जो कि शांति से संघर्ष के बदलाव की परिस्थितियों में काम आएंगे।

नौसेना के साथ कोस्ट गार्ड भी होंगे शामिल

भारतीय नौसेना, कोस्ट गार्ड, कस्टम और अन्य समुद्री एजेंसियां सी-विजिल में भाग लेंगे। इस अभ्यास के मौके पर रक्षा, गृह, जहाजरानी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, मत्स्य, कस्टम, राज्य सरकारें, केंद्र और राज्य सरकारों की अन्य एजेंसियां भी शामिल होंगी। 

ऐसे अभ्यास से सुरक्षा तैयारियों के आकलन में मिलती है मदद

अधिकतर छोटे पैमाने पर समुद्री इलाकों के राज्यों में नौसैनिक अभ्यास किए जाते हैं। इसमें एक से ज्यादा राज्य मिलकर भी अभ्यास करते हैं। इसका मकसद राष्ट्रीय स्तर पर देश की सुरक्षा के लक्ष्य को पूरा करना। यह अभ्यास उच्च स्तर पर समुद्री क्षेत्र में भारत की सुरक्षा तैयारियों का भी आकलन करने में मदद करता है। इससे हमारी समुद्री सुरक्षा और मजबूत हो सके।

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