
नेशनल डेस्कः कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल व वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने बुधवार को किसान प्रतिनिधियों के साथ दिल्ली के विज्ञान भवन में 10वें दौर की वार्ता हुई। हालांकि वार्ता का कोई हल तो नहीं निकला। लेकिन दोनों ही पक्षों ने गतिरोध को दूर करने के लिए नरमी दिखाई। गत दो महीनें से दिल्ली में डेरा जमाए किसान संगठनों को प्रस्ताव दिया है कि वह डेढ़ साल तक नए कृर्षि कानूनों को लागू नहीं करेगी। इस बीच एक संयुक्त विशेष कमेटी बना कर किसानों की हर मांग पर चर्चा करेगी। किसान संगठनों ने भी प्रस्ताव पर नरमी दिखाते हुए इस पर विचार का मन बनाया है।
सरकार कृर्षि कानून के हर पहलू पर है चर्चा को तैयार
कृर्षि मंत्री ने कहा कि कानूनों को रद्द करने के अलावा यदि संगठनों को इन कानूनों पर एतराज है या कुछ सुझाव देना है तो सरकार हर बिंदू पर चर्चा करने के लिए तैयार है। पिछली बैठकों में भीअन्य विकल्पों पर चर्चा न होने की वजह से कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल पाया था।
कोई नहीं हड़प सकता किसानों की जमीन
किसान संगठनों की शंकाओं को दूर करने के लिए नरेंद्र तोमर ने कहा कि किसानों की जमीन हड़पी जाने संबंधी भ्रम को दूर करने की जरूरत है। मैं स्पष्ट तौर पर बता दूं कि इन कानूनों के रहते कोई भी व्यक्ति देश में किसानों की जमीन हड़पने की ताकत नहीं रखता। हम खेती को आगे बढ़ाने और किसानों को समृद्ध बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ये कानून किसानों के जीवन में क्रान्तिकारी बदलाव लाएंगे। इससे किसानों की दशा-दिशा बदलेगी और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा।
शुक्रवार को होगी अगली बैठक
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कृषि सुधार कानूनों को एक से डेढ़ वर्ष तक स्थगित किया जा सकता है। इस दौरान किसान संगठन और सरकार के प्रतिनिधि किसान आन्दोलन के मुद्दों पर विस्तार से विचार-विमर्श करके उचित समाधान पर पहुंच जा सकते हैं। इस पर किसान यूनियनों के नेताओं ने कहा कि वह सरकार के प्रस्ताव पर अन्य किसान संगठनों से भी चर्चा करेंगे इसके बाद जो भी फैसला होगा हम शुक्रवार को दोपहर 12 बजे विज्ञान भवन में होने वाली बैठक में विस्तार से चर्चा करेगी।