टैक डेस्क: AC खरीदते समय कुछ लोग यह भ्रम में रह कर एसी खरीद लेते हैं कि शायद ये इन्वर्टर पर काम करता होगा, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है। एसी पर लिखे इन्वर्टर का मतलब यह नहीं है कि यह इन्वर्टर पर चलता है बल्कि यह एक तरह की तकनीक है, जिससे बिजली की खपत को कम करने में मदद मिलती है।
आइए जानत हैं कि आखिर इन्वर्टर एसी काम कैसे करता है और इन्वर्टर और नॉन इन्वर्टर एसी में क्या अंतर होता है…
जिन एसी में इन्वर्टर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है, उसे इन्वर्टर एसी कहा जाता है। इन्वर्टर एसी में एक इलेक्ट्रिक वोल्टेज, करंट और फ्रिक्वेंसी को कंट्रोल करने के लिए कंट्रोलर लगाया जाता है। इस कंट्रोलर का काम यह होता है कि यह एसी के कंप्रेसर में होने वाली पावर सप्लाई को कंट्रोल करता है। इससे बिजली की बेहद कम खपत होती है। आपको बता दें कि तापमान में बदलाव होने पर इन्वर्टर एसी कूलिंग में बदलाव कर देता है यानी कूलिंग कम कर देता है जिससे कंप्रैसर पर लोड कम हो जाता है जबकि नॉन इन्वर्टर एसी में एक निश्चित तापमान पर एसी कूलिंग करता है। आसान शब्दों में कहें तो इन्वर्टर एसी जब कमरे को ठंडा कर देता है तो एसी का कंप्रेसर धीमा हो जाता है। इससे बिजली की खपत कम होती है।
ध्यान में रहे कि नॉन-इनवर्टर एसी की कीमत इन्वर्टर एसी के मुकाबले कम होती है। अगर आप एसी को कभी-कभी या दिन में 1 से 2 घंटे इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आप नॉन-इनवर्टर एसी खरीद सकते हैं लेकिन अगर आप इसे 4 घंटे या उससे ज्यादा प्रतिदिन चलाना चाहते हैं तो आपके लिए इनवर्टर एसी सही रहेगा, क्योंकि बिजली के बिल में जो बचत होगी उससे कुछ समय में ही आपके पैसे पूरे हो जाएंगे।