नई दिल्लीः दिल्ली और बेंगलुरू दंगों के आरोपों में घिरा इस्लामिक संगठन पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के देश भर में फैंले 29 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापेमारी की है। ये कार्रवाई मनी लांड्रिंग कानून के तहत की गई है। इसका मकसद पीएफआई को मिली फंडिंग के स्त्रोतों का पता लगाना है। पीएफआई ने छापे की कार्रवाई को ध्यान किसान आंदोलन से ध्यान हटाने की कोशिश करार दिया है। बता दें कि ईडी को इस साल मार्च तक पीएफआई के खाते में देश-विदेश से 120 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग के सुबूत मिले हैं।
इन स्थानों पर हुई छापेमारी
बीते गुरुवार को उत्तर प्रदेश के लखनऊ व बाराबंकी, दिल्ली का शाहीन बाग, बिहार का दरभंगा व पूर्णिया, तमिलनाडु के तेनकासी व मदुरई, महाराष्ट्र का औरंगाबाद, बंगाल के कोलकाता व मुर्शिदाबाद, राजस्थान का जयपुर, केरल के कोच्चि, मल्लापुरम और त्रिवेंद्रम शामिल है।
क्या है पीएफआई, क्यों है विवादों से नाता?
केरल में वर्ष 2006 में पीएफआई का गठन किया गया था। यह एक उग्र इस्लामिक संगठन है। पीएफआई समाजसेवा का दावा करता है। 16 प्रदेशों में फैले इस संगठन की महिला विंग भी है। इस पर लव-जिहाद के आरोप भी लगे हैं। सीरिया के आतंकी संगठनों से इसके सदस्यों के लिंक सामने आने के बाद झारखंड सरकार पीएफआई पर बैन भी लगा चुकी है। वर्ष 2018 में केरल में भी इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठी थी। वर्तमान में इस पर यूपी में हिंसा में संगठन का हाथ होने का आरोप लगा है। उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ संघर्ष करने के लिए उकसाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के संदेह के घेरे में आ गया है।