- 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन के रह चुके हैं प्रत्याशी
- 2007 के विधानसभा चुनाव में मिलें 9095 वोट, वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में 9539
नेशनल डेस्कः तीनों कृर्षि बिलों को रद्द करने की मांग पर अड़े भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। वर्ष 2007 में राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अपने गृहनगर खतौली सीट से चुनाव लड़े थे। लेकिन हार इतनी करारी हुई कि उनकी जमानत तक जब्त हो गई। बता दें कि राकेश टिकैत गद्दावर किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के पूत्र हैं।
करारी हार के बाद वर्ष 2014 में फिर लड़ा लोकसभा चुनाव, मिले 0.87 फीसद मत
वर्ष 2007 में राकेश टिकैत ने अपनी पार्टी बहुजन किसान दल बनाया। इसी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में इन्होंने जिला मुजफ्फरनगर की खतौली सीट पर चुनाव लड़ा। इस सीट पर कुल 120632 वोट पड़े। इसमें से केवल 9095 (कुल वोटों का 7.5 प्रतिशत) वोट मिलें। इसमें बीजेपी के उम्मीदवार विक्रम सिंह को जीत हुई थी। राकेश टिकैत इस हार से इतने निराश हुए की उन्होंनेे वर्ष 2012 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन उन्होंने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में दोबारा किस्मत आजमाई। लेकिन इस चुनाव में भी राकेश टिकैत को निराशा मिली। बता दें कि वह कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में अमरोहा सीट से चुनाव लड़े थे। इस सीट पर करीब 10 लाख 95 हजार वोट पड़े। इसमें से राकेश टिकैत 9539 वोटों ( कुल वोटों का 0.87 प्रतिशत) के साथ चौथे स्थान पर रहे। वहीं, करीब 53 हजार वोटों के साथ बीजेपी के कंवर सिंह चुनाव जीत गए। उन्हें 48.26 प्रतिशत वोट मिलें।
किसान आंदोलन की आड़ में यूपी के 2022 के विधानसभा चुनाव पर है नजर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में करीब एक साल बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। इस चुनाव में बेहतर उतरने के लिए राकेश टिकैत किसान आंदोलन की आड़ में अभी से अपनी जमीन तैयार कर रहे हैं। दो चुनाव में हार का सामना कर चुके राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश में खुद को मजबूत किसान नेता के तौर पर स्थापित करना चाह रहे हैं। इसी के चलते APMC (Agricultural Produce Market Committee) और MSP (Minimum Support Price) की गांरंटी को लेकर शुरू हुआ किसान आंदोलन अब अपनी दिशा बदल चुका है। अब किसान नेता MSP को कानूनी रूप देने और तीनों कृर्षि बिल खत्म करने पर अड़े हुए हैं। एक साल बाद पंजाब में भी विधानसभा चुनाव हैं।
क्या होता है चुनाव में जमानत जब्त होना
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34 1 (a) के मुताबिक सांसद का चुनाव लड़ने के लिए 25 हजार रूपये और विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिे 10 हजार रुपये की जमानत राशि चुनाव आयोग को जमान करानी होती है। जब को उम्मीदवार कुल मतों का 1/6 हिस्सा लेने में नाकाम रहता है तो चुनाव आयोग उसकी जमानत राशि को जब्त कर लेता है। यह किसी भी उम्मीदवार के लिए अपमान जनक बात होती है।
SC ST को जमा करानी होती है आधी जमानत राशि
SC और ST (Scheduled Castes and Scheduled Tribes) उम्मीदवार को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34 1(b) के तहत चुनाव के लिए सिर्फ आधी राशि जमानत के रूप में जमा करानी होती है।