इस बार लोकसभा के सत्र की शुरुआत इसी सेकुलरिज्म शब्द से हुई। हमारे देश के गृह मंत्री जी ने इस पर काफी कुछ कहा, पर इंग्लिश शब्दकोष में सेक्युलर शब्द का अर्थ होता है “जो धार्मिक और आध्यात्मिक मामलो से जुड़ा न हो”। धर्म अपने आप में एक बड़ा शब्द है और इसका अर्थ भी व्यापक है। इसे एक शब्द और सन्दर्भ में लेकर हम नहीं सोच सकते धर्म का अर्थ जंहा तक हमारे वेदों और धर्मग्रंथो के अनुसार समझने की कोशिश करे, तो यह किसी भी पूजा पद्दति से सम्बंधित नहीं है जबकि यह सम्बंधित है आपके कर्तव्य से, आप किसी भी स्तिथि में हो आपका आचार विचार और व्यहवार क्या होना चाहिए उसके आधार को तय करता है, आपका धर्म। हालाकि कई लोग जो धर्म से जुड़े विद्वान है। वह कहते है, जो धारण किया जा सके वही धर्म है अर्थात जो आप अपने व्यहवार में अच्छी बातो को ला सके। इस बारे में हर किसी की अपनी राय है। किसी के लिए क्या धर्म है? वह देश काल और परिस्तिथि पर निर्भर करता है।
आज के सन्दर्भ में हम पूजा पद्दति को ही धर्म कहते है और इसके मानने वाले भी अलग अलग है जैसे हिन्दू, मुस्लिम ,सिख, ईसाई लेकिन इनकी जब धार्मिक भावनाए आहात होती है तो सबकी प्रतिक्रिया अगल अलग होती है। कोई हिंसा का सहारा लेता है तो कोई हिंसात्मक वाणी का। इस पर हर पार्टी की प्रतिक्रिया भी उसके धर्म के आधार पर अलग अलग आती है। कहते है सीधे पेड़ को सबसे पहले काटा जाता है। यही आज भारत में बहुसंख्यक समाज के साथ हो रहा है। बहुसंख्यक समाज के खिलाफ बोलना इनकी आस्थाओं का मज़ाक बनाना बहुत आसान है और वह विचारों की स्वतंत्रता के अंतर्गत आता है।
जानते है पैमाना क्या है ? सेक्युलर होने का
इसके अर्थ के बारे में हम पहले ही बात कर चुके है, परन्तु इसका पैमाना क्या है ? कौन-कौन सेक्युलर की श्रेणी में आता है ? आइये जरा समझने की कोशिस करते है।
जो हिन्दुओ की आस्थाओ पर सवाल खड़ा करे, जो हिन्दू मान्यताओं को ना माने और उन्हें पाखंड कहे, जो हिन्दू धर्म की आलोचना करे, जो श्री राम को काल्पनिक कहे, जो विकास की सिर्फ बात कहे और उसके लिए हिन्दुओ की आस्थाओ के केंद्र सेतु पूल को तोड़े, चाहे पर्यावरण विद्वान भी इस पर अपना विरोध दर्ज कराए, जो मंदिरों को तो तोड़े पर सडको के किनारे बढ़ते पीरो के होते अतिक्रमण को ना रोके, जो भारत के खिलाफ बात करे या जो ये कहे की श्री राम इस देश में नहीं पकिस्तान- अफगानिस्तान सीमा पर पैदा हुए है, या जो ये कहे भारत माता डायन है, वो लोग जो ये कहे मोहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी, मोहम्मद गौरी, औरंगजेब हमारे हीरो है, दुनिया जानती है इन हीरो ने लाखो लोगो को मारा, लाखो को जबरदस्ती इस्लाम कबूल कराया, या वो जो हिन्दुओ देवताओ का फिल्मो में मज़ाक बनाते है, या वो जो हिन्दू देवी देवताओं की बद्दी तस्वीरे बनाते है या जो कहे मै मुस्लिम हूँ, आदि आदि
अब जानते है कि कौन सांप्रदायिक है ?
वही सांप्रदायिक है जो अपने आपको हिन्दू कहता है, या वो सांप्रदायिक है जो देश में सभी धर्मो के लिए एक क़ानून चाहता है, या वो जो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक धवज की बात करता हो, जो ये सवाल उठाता हो की जब कश्मीर में पंडितो को कब बसाया जाएगा, जो महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी, गुरु तेगबहादुर, हरी सिंह नलवा जैसे अनेक बहादुरों और देशभक्ति से लबालब लोगो की जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात करता हो, आदि आदि
ऐसे ओर भी उदाहरण को शामिल किया जा सकता है पर मै अपने लेखन को यंहा विराम देना चाहुगा और आप से ये चाहुगा कि आप भी अपने आस पास जो घटित हो रहा है उस पर ध्यान देंगे तो समझ जाएगे की कौन सेक्युलर है ?