विदेश डेस्कः भारतीय प्रधानमंत्री मोदी जी अपने दो दिनो के रुस दौरे पर गये है। यह दोनों देशो के बीच में 16वी भारत-रूस सालाना शिखर वार्ता है जो वर्ष 2000 से बारी-बारी कभी मास्को में तो कभी दिल्ली में होती है। इस बार यह मास्को में हो रही है। यह वार्ता काफी अहम है क्योकि रूस पश्चमी देशो के प्रतिबंधों का सामना कर रहा है और वह अपनी आर्थिक स्तिथि को सुधारना चाहता है उसी तरह से भारत अपनी रक्षा और ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूस का सहयोग चाहिए। इस तरह से दोनों देश एक दूसरे की मदद कर सकते है।
पिछले एक दशक से भारत और रूस के रिश्ते में ठराव आ गया था लेकिन मोदी ही के इस दौरे से दोनों देशो के बीच एक बार फिर गर्मजोशी देखने को मिलेगी। रूस भारत का हमेशा से ही रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा सहयोगी रहा है लेकिन बीच में अमेरिका, इसराइल और फ्रांस से भी भारत ने अपने रक्षा सहयोग को बढ़ाया है। इस वजह से रूस कही पिछड़ता दिख रहा था। एक न्यूज़ चेंनेल के मुताबिक अमेरिका से हमने 2.6 $ अरब डॉलर का, जबकि रशिया से 2.1 $ अरब डालर का रक्षा समझोते किये है। इस तरह रूस खिसक कर दुसरे पायदान पर आ गया।
भारत को इस दौरे से क्या-क्या मिल सकता है ?
आईये देखते है। भारत को रक्षा के क्षेत्र S-400 ट्रायम्फ पेचोरा मिसाइल, अत्याधुनिक यासेन क्लास की पनडुब्बी, 4 फ्रिगेट जो भारत में बनेगे रिलायंस और रुसी कंपनी के गठजोड़ से, यह पहले ऐसे फ्रिगेट होंगे जो कोई प्राइवेट कंपनी बनाएगी भारत में, PAK T50 एयर क्राफ्ट जो पांचवी पीढ़ी का अत्यंत आधुनिक विमान है। इसकी टेक्नोलॉजी भी रूस भारत को देने के लिए तैयार है। रूस मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत में ही रक्षा उपकरण भारत के साथ मिल कर बनाने के लिए तैयार है। 400 कमोव केए 226टी सौदा होने की भी सम्भावना है। जिसमे 200 भारत में ही बनेगे। यह मल्टी रोल हेलीकाप्टर है जो राहत और बचाव कार्य में भी इस्तेमाल कर सकते है। इसका इस्तेमाल एम्बुलेंस के तौर पर भी किया जा सकता है।
उर्जा के क्षेत्र में भी भारत और रूस के बीच में समझोता होगा। 12 न्यूक्लियर प्लांट रशिया भारत में लगेगा जिसमे आंद्रप्रदेश और कुडकुलम शामिल है।
मोदी जी ने इस दौरे से मोदी जी ने इस दौरे से दो महाशक्तियो के बीच में संतुलन पैदा करने की कोशिश भी की है। काफी वर्षो से लग रहा था की भारत अमेरिका की तरफ झुक रहा है इसलिए भारत ने अपने पुराने मित्र के साथ ये रक्षा समझोते करने पर दूरियों को मिटने में सफलता हासिल कर लेगा। दूसरी तरफ रशिया का पाक के साथ रक्षा सहयोग भी बढ़ रहा है उसे रोकने में भी मदद मिलेगी।