विदेश डेस्कः मोदी के सत्ता सँभालते ही ऐसा लग रहा है की हमारी ठहरी हुई विदेश नीति में एक अलग ही गति नजर आ रही है। जब भी प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर जाते है तो मीडिया के साथ साथ विपक्षी पार्टिया भी इस पर पूरी नजर बना के रखते है कही कोई चूक हो जाए प्रधानमंत्री जी से तो वह इसका राजनितिक मुद्दा बना सके लेकिन लगता है विपक्षी पार्टियो को कोई मुद्दा तो नहीं मिल रहा पर वह जिस धरातल पर मोदी जी को घेरने की कोशिश करती है और उसके लिए जो तर्कों का सहारा लेती है पर तो शायद वह खुद भी सहमत नहीं होते होगे परन्तु पार्टी पूजन के लिए विपक्ष राष्ट्र पूजन को त्याग देता है।
मोदी जी रूस से 16 समझौते कर काबुल पहुंचे , यंहा उन्होंने भारत की मदद से बनने वाली संसद का उद्घाटन किया। इस संसद को बंनाने में 540 करोड़ रूपये खर्च किये गए। यह भारत और अफगानिस्तान के बीच में बढ़ती नजदिगी को दर्शाता है। भारत ने इसके साथ साथ अगानिस्तान को 4 एमआई 25 अटैक हेलीकाप्टर देने का फैसला लिया है। यह एक बड़ा कदम है और भारत अपने रणनीतिक भागीदारी के लिए एक सख्त कदम उठाने से डरने वाला नहीं है क्योकि पहले हम अफगानिस्तान को नॉन-लीथल हथियार देने के पक्ष में थे लेकिन इस सरकार ने ये एक कड़ा कदम लिया है। पाकिस्तान हमेशा से इसका विरोध करता आया है।
अफगानिस्तान की संसद में अपने भाषण के दौरान उन्होंने पाकिस्तान पर भी तंज कसते हुए अफगानिस्तान के साथ खड़े रहने का संकल्प लिया।
अफगानिस्तान से आते हुए पाकिस्तान भी गए। यह सभी के लिए एक चौकाने वाला फैसला था। पक्ष क्या और विपक्ष क्या सभी इस सरप्राइजिंग डिप्लोमेसी से हैरान रह गए। दोनों देशो के बुद्धिजीवी अपना अपना पक्ष इस पर रख रहे थे तो कांग्रेस अब इस बात पर नाराज़ हो गई की वह पाकिस्तान क्यों चले गए ? उनके कुछ रोचक सवाल ये थे कि इसका क्या परिणाम निकलेगा ? प्रधानमंत्री जी ने इस विजिट के बारे में संसद में क्यों नहीं बताया ? अब मै अपने कांग्रेस के इस विद्वान व्यक्ति को कहना चाहता हूँ कि महात्मन ये डिप्लोमेसी है इसमें बताने से ज्यादा करने में यकीन होना चाहिए । आज कांग्रेस ने इस पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की मुझे इसका मतलब अबतक समज नहीं आया।
आज विपक्ष केवल विरोध के नाम पर विरोध कर रहा है। मुद्दा विहीन लग रहा है विपक्ष।