मैं एक भारतीय हूं और हिंदी बोलने में मुझे गर्व होता हैं। किसी अंग्रेज को हिंदी बोलते सुनता हूं तो दिल को बहुत सुकून महसूस होता है। मुझे अंग्रेजी की भी समझ है। इसके बावजूद मुझसे अंग्रेजी में व्याकरण की भी हो जाती हैं क्योंकि 95 प्रतिशत मैं अपनी मातृ भाषा में ही बात करता हूं, उसी को पढता हूं। हिंदी का पत्रकार होने के चलते यह मेरे पेशे का हिस्सा भी है। इसलिए अंग्रेजी में गलती होने पर मुझे कोई शर्म भी नही आती, हालांकि मैं सुधार का पक्षधर हूं। हां, मुझे शर्म तब आती हैं, जब मैं हिंदी के किसी शब्द का अर्थ नहीं जानता या किसी भारतीय को यह कहते सुनता हूं कि मुझे हिन्दी थोड़ी कम आती हैं और यह कहते हुए वह गर्व से सीना चौडा कर लेता हैं।
हिन्दी हमारी मातृ भाषा हैं। इसे बोलने में पढने में गर्व का अनुभव होना चाहिए। मां कैसी भी हो बच्चे के लिए सबसे अच्छी और खुबसूरत होती हैं। इसलिए हमें गर्व से सिर उठा कर कहना चाहिेए कि हम हिन्दी बोल सकते हैं और हमें इसका गर्व हैं। क्योंकि व्याकरण की दृष्टि से भी और शब्द भंडार के मामले में भी यह अंग्रेजी से कोसो आगे हैं। सम्मान सभी भाषा का करो लेकिन अभिमान अपनी मातृ भाषा का ही होना चाहिए।
जय हिन्द जय भारत