आतंकियों को मकबूल बट याद है, क्या आपको रविन्द्र म्हात्रे याद है ?

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पुणे मे हर दिन हजारों वाहन “म्हात्रे” पुल से गुजरते हैं लेकिन उन मे से शायद 10% लोग भी नही जानते होंगे कि ये म्हात्रे कौन थे।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय मे कुछ बुद्धिजीवियों ने कुछ दिन पहले प्रदर्शन किये और अफजल गुरु और मकबूल बट को शहीद कह कर घोषणाएं की।

मकबूल बट को सामान्य जनता भूली होगी मगर ऊग्रवादी भूले नही।  कश्मीर घाटी के पुराने हिंन्दू जो भट्ट थे वही धर्मपरिवर्तन के बाद बट हो गये थे।

14 सितंबर 1966 को पाकिस्तान की सहायता से इस मकबूल बट ने पुलिस बल पर हमला किया जिस मे इंन्स्पेक्टर अमरचंद मारे गए।  1971 के विमान अपहरण कर लाहोर ले जाने मे भी इस मकबूल बट की मुख्य भूमिका थी।  तब यह पाकिस्तान मे रहता था।

1976 मे भारतीय सेना ने पकडा और फिर इसे फांसी की सजा हुई। उसने भारत के राष्ट्रपती से क्षमा याचना की।

3  फरवरी 1974  को इसके साथियों (Jammu Kashmir Liberation Front) ने लंडन मे भारतीय उच्चायोग के श्री रवींद्र म्हात्रे का अपहरण किया।  श्री म्हात्रे अपनी छोटी सी बेटी के जन्म दिन का केक ले कर घर आ रहे थे और बस से उतरे थे। यहीं से अपहरण कर आतंकियों ने मकबूल बट को रिहा करने की मांग की।

तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने यह मांग नही मानी और स्पष्ट कर दिया कि भारत सरकार आतंकियों से कोई बातचीत नही करेगी। तब 6 फरवरी 1984 को इन आतंकियों ने श्री म्हात्रे का कत्ल कर उनके शव को सडक पर फेंक दिया।

तब श्रीमती इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपती श्री जैल सिंह को दया याचना को  नामंजूर करने की सिफारिश की, 5 दिन बाद 11 फरवरी 1984 को मकबूल बट को फांसी पर चढा दिया।

रवींद्र म्हात्रे के बूढे माता-पिता मुंबई के विक्रोळी मे 3 कमरे के मकान मे रहते थे।

 श्रीमती गांधी उन्हे मिलने मुंबई गईं और हवाई अड्डे से सीधे विक्रोळी गईं।  म्हात्रे के बूढे पिता का हाथ 15 मिनट हाथ मे लेकर बैठीं और सांत्वना दी।  दोनो की आंखों मे पानी था।  श्रीमती गांधी ने देश को महत्व दिया था जिस से म्हात्रे को जान गवानी पडी।  इस के लिये खुद को दोषी मान कर क्षमा मांगी और सीधे हवाई अड्डे से दिल्ली वापस आईं।

4 नवंबर 1984 को इन्ही आतंकियों ने मकबूल बट को फांसी की सजा देने वाले जज “नीलकंठ गंजू” की हत्या कर दी.

ये आतंकवादी 30 साल बाद अभी भी मकबूल भट को भूले नही मगर हम श्री रवींद्र म्हात्रे को भूल गए….

चलिये हम आज उन्हे, श्री म्हात्रे, नीलकंठ गंजू और इंस्पेक्टर अमरचंद को याद कर अपनी श्रद्धांजली दें.

#प्रतिलिपि   

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