तिरंगा गाल पर लगाने वालो , एक आंसू शहीदो पर भी बहालो

कविताएँ


कुछ दिन पहले पठानकोट में आतंकवादी घटना हुई थी। उस समय हमारे देश के सात वीर जवान आतंकवादियो से लोहा लेते हुए शहीद हो गए। बहुत लोगो ने फेसबुक के माद्यम से या अन्य सोशल मीडिया साइट से अपनी श्रद्धांजलि प्रकट की लेकिन कुछ लोगो के लिए देशप्रेम का अर्थ होता है सिर्फ क्रिकेट में अपने चेहरे पर तिरंगा लगाना। उनको इस कविता के माद्यम से कुछ कहना चाहता हूँ। 


तिरंगा गाल पर लगाने वालो, 
एक आंसू शहीदो पर भी बहालो,

कुर्बान कर दी जिसने तमाम हसरते दिल की, तिरंगे के लिए,
कभी उसी जज्बे से तिरंगे को, अपने माथे से लगालो,

देश भक्ति कोई खेल नहीं है, 
ये भावनाओ की गहराई है, उचाई है,
इसे समझने के लिए भी थोडा वक़्त निकालो, 
क्यों मर जाता है कोई, सिर्फ तीन रंग के लिए,

इन मौलानाओ से कह दो
 पहले अपने मनो से कट्टरता हटा लो,
अब कुछ कहते है, हम राष्ट्र-गान नहीं गाएगे, 
 कह दो उनसे अपनी आँखों से धर्म का चस्मा हटा लो,
छोड़ दो ये मुल्क अगर नहीं होता तुमसे, 
जहाँ मिले तुमे अपनी आज़ादी, वहीँ अपना आंशिया बसालो।। 


Note – इस कविता से जुड़े सर्वाधिकार रवि प्रताप सिंह के पास हैं। बिना उनकी लिखित अनुमति के कविता के किसी भी हिस्से को उद्धृत नहीं किया जा सकता है। इस लेख के किसी भी हिस्से को अनधिकृत तरीके से उद्धृत किये जाने पर क़ानूनी कार्यवायी होगी।



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