जब से मोदी जी ने देश की कमान संभाली है तभी से हर दिन ऐसा घट रहा जो राजनीतिक नजरिये से अप्रत्याशित है। मोदी जी ने अपने शपथ ग्रहण समाहरोह में सार्क देशो को बुला कर सभी को चौंका दिया था। जब वह संसद में पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में जा रहे थे तो उन्होंने लोकतंत्र के मंदिर (संसद) में माथा टेक कर प्रवेश किया यह एक ऐतिहासिक क्षण था। प्रधानमंत्री जी का हर साल होने वाली तीनो सेनाओ के जनरल के साथ सुरक्षा के विषय को लेकर बैठक इस बार पारम्परिक तौर पर होने वाली बैठक नहीं थी जो सिर्फ दिल्ली में बुलाई और ख़त्म होगई। इस बार यह बैठक आईएनएस विक्रमादित्य पर बुलाई गई और वंहा जाकर मोदी जी ने देश की रक्षा तैयारियों का जायजा लिया। यह भी एक अप्रत्याशित घटना थी।
मोदी जी ने अभी कुछ दिन पहले गुजरात के रण में देश के सभी डि जी पी की बैठक हुई जो हर साल होती है इस बार यह बैठक 18 दिसम्बर से शुरू हुई और तीन दिन चली। इस दौरान मोदी जी ने सभी डी जी पी के साथ मिलकर योग आसान भी किये और देश की आंतरिक सुरक्षा की समीक्षा भी की। यह अप्रत्याशित घटना इस लिए थी क्योकि आजतक ऐसी सभी बैठके दिल्ली में एसी हॉल में बैठकर हुई और जिनकी समय अवधि एक घंटे से ज्यादा नहीं होती थी। अब आप अंदाजा लगा सकते है कि हमारे देश में 36 डी जी पी है केंद्र शासित प्रदेशो को मिलाकर, अगर एक डी जी पी भी दो मिनट भी लेगा अपने प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था का विवरण देने में तो भी यह 60 मिनट की समय सीमा को पार कर जाएगी। मोदी जी के आने के बाद से इस व्यवस्था में काफी परिवर्तन आया है। इससे पहले की बैठक गुवाहाटी हुई थी तो आप अंदाजा लगा सकते है। औपचारिकता अब काफी पीछे छूट गई है।
इस साल की राजनीतिक उठापठक के बीच जो सबसे ज्यादा अप्रत्याशित और अनौपचारिक घटना हुई जब मोदी जी रुस से अफगानिस्तान पहुंचे और उसके बाद सीधे पाकिस्तान। इस घटना को साधारण नहीं कहा जा सकता। इस वर्ष की इससे बड़ी अनौपचारिक और अप्रत्याशित घटना कुछ और नहीं हो सकती। विपक्ष इस घटना को लेकर सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया है परन्तु अगर इन सब बातो को पीछे छोड़ दे । नेता वही होता है जो सकारात्मक पहल के साथ आगे आए। अगर नेता नए नजरिये और नई नीति के साथ नहीं आता तो वो नेता नहीं हो सकता क्योकि पग चिन्हो पर चलने वाले नेता नहीं होते। नेता वही होता है जो अपने पग चिन्ह बनाता है।
Read Also:- मोदी और विदेश नीति
Read Also:- मोदी और विदेश नीति