महिलाओं को जो देते हैं
दिल से जीवन में सम्मान l
वही वास्तव में लायक हैं
समाज में कहलाने को श्रीमान ll
माँ, बहन और बेटी के रूप में
ये निभाती हैं जीवंत भूमिका l
पत्नी के रूप में मिल जाती हैं
नि:स्वार्थी एक दोस्त अनूठा ll
मित्र और सह कर्मी बन कर
अद्भुत करती पेश मिसाल l
चेहरा देख जान लेती हैं
खुशी गमी के सारे हाल ll
प्रेयसी बन कर भी रखती हैं
राधा जैसा अपना चरित्र l
सुगंध फैलाती चहूँ ओर
बन जाती प्यार का विशेष इत्र ll
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिल रही
आज इन्हें विशिष्ट पहचान l
चुनिंदा पंक्तियों के माध्यम से
‘कौशिक’ कर रहा महिला सम्मान ll
नारी शक्ति को प्रणाम करती डॉ. नरेंद्र कौशिक की ये कविता