फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ हो चुका है भुगतान, लाभार्थियों में महाराष्ट्र के किसान अव्वल

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नेशनल डेस्कः राजनीति के चलते भले ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर राजनेता सवाल खड़े करते हों। लेकिन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) का हर साल औसतन 5.5 करोड़ किसान लाभ उठाते हैं। केंद्र सरकार ने 5 वर्ष पहले यानी 13 जनवरी, 2016 को देश के किसानों के लिए फसलों के जोखिम को कम करने के लिए इस योजना की शुरुआत की थी। बीते 5 वर्षों में किसानों को इस योजना के अंतर्गत 90 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। इस योजना को लाभ उठाने वालों में महाराष्ट्र के किसान अव्वल हैं। उन्होंने वर्ष 2019 की बेमौसम वर्षा के दौरान हुए फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए 5,000 करोड़ रुपये का दावा किया है।

राज्य और केंद्र उठाते हैं 50-50% प्रिमियम का खर्च

बता दें कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए देश भर में किसानों को सबसे कम समान प्रीमियम पर फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए इस योजना की शुरुआत की गई थी। किसान के हिस्से का अतिरिक्‍त प्रीमियम का खर्च राज्यों और भारत सरकार द्वारा समान रूप से उठाया जाता है। हालांकि, भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में इस योजना के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार खुद 90 प्रतिशत प्रीमियम देती है। पीएमएफबीवाई के तहत औसत बीमित राशि बढ़ाकर 40,700 रुपये कर दी गई है। पीएमएफबीवाई से पहले की योजनाओं के दौरान यह प्रति हेक्टेयर 15,100 रुपये थी।

लॉकडाउन के दौरान 70 लाख किसानों के खाते में जमा कराए 8741 करोड़ रुपये

आधार से जुड़े किसानों के खातों में सीधे दावा निपटान में तेजी लाने में मदद मिली है। लॉकडाउन के दौरान भी करीब 70 लाख किसानों को लाभ हुआ है। उनके खाते में इस योजना के तहत 8741.30 करोड़ रुपये के डाले गए हैं।

किस तरह लाभ होता है किसानों को इस योजना का

किसानों का फसल के प्रति जोखिम कम करने के लिए इस योजना में बुवाई पूर्व से लेकर कटाई के बाद तक फसल के पूरे चक्र को शामिल किया गया है। इसमें रोकी गई बुवाई और फसल के बीच में प्रतिकूल परिस्थितियां होने वाला नुकसान शामिल है। बाढ़, बादल फटने और प्राकृतिक आग जैसे खतरों के कारण होने वाले नुकसान को भी इसमें शामिल किया गया है।

2019 में इन राज्यों के किसानों ने किए सबसे अधिक नुकसान के दावे

वर्ष 2019 में खरीफ सीजन में सूखे के दौरान आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में 500 करोड़ रुपये से अधिक बुवाई के दावा किया। वर्ष 2018 में खरीफ सीजन के दौरान ओला वृष्टि के कारण हरियाणा में 100 करोड़ रुपये से अधिक के आपदा दावे,  राजस्थान में रबी 2019-20 में टिड्डियों के हमले के दौरान लगभग 30 करोड़ रुपये के नुकसान के दावे और वर्ष 2019 की बेमौसम वर्षा के दौरान महाराष्ट्र में 5,000 करोड़ रुपये का दावा शामिल है।  

तकनीक की मदद से 72 घंटों में नुकसान की रिपोर्ट तैयार

नुकसान की भरपाई के दावे शीघ्रता से निपटाए जाए। इसके लिए आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है। किसानों का आसानी से नाम लिखने के लिए पीएमएफबीवाई पोर्टल, फसल बीमा मोबाइल ऐप को भूमि रिकॉर्ड से जोड़ना, फसल नुकसान का आकलन करने के लिए सैटेलाइट इमेजरी, रिमोट सेंसिंग टेक्‍नोलॉजी, ड्रोन, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल शामिल है। यह योजना फसल बीमा ऐप, सीएससी केंद्र या निकटतम कृषि अधिकारी के माध्यम से किसी भी घटना के होने के 72 घंटों के भीतर किसान के लिए फसल नुकसान की रिपोर्ट करना आसान बनाती है। इस योजना को सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक बनाया गया था। फरवरी 2020 में इसमें सुधार किया गया।

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