नेशनल डेस्कः पटियाला में शुक्रवार को खालिस्तान विरोधियों और समर्थकों के बीच जमकर लाठी डंडे चले। इससे स्थानीय स्तर पर माहौल तनाव पूर्ण हो गया। लेकिन इस माहौल के लिए प्रशासन और पुलिस का ढीला रवैया जिम्मेदार है। साथ ही खालिस्तानियों का काली माता मंदिर पर हमला करना भी हिंदू-सिखों के बीच दरार पैदा करने का काम किया है। इस घटना में एसएचओ समेत 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFI) के प्रमुख गुरुपतवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो के जरिए 29 अप्रैल को खालिस्तान के समर्थन में मार्च निकालने की अपील करी थी। इसी अपील के खिलाफ शिव सेना (बाल ठाकरे) की पंजाब ईकाई के उपाध्यक्ष हरीश सिंगला ने ‘खालिस्तान मुर्दाबाद मार्च’ निकालने की घोषणा कर दी। घटना वाले दिन काली माता मंदिर के पास मार्च निकालने के दौरान खालिस्तान समर्थक और विरोधियों की भिडंत हो गई। भिडंत के दौरान दोनों पक्षों के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई। खालिस्तानियो ने मंदिर पर हमला बोल दिया और कई दुकानों में तोड़फोड़ करी। साथ ही मां काली के प्रति भी खालिस्तानियों ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।
पुलिस की कार्रवाई पर उठते हैं कई सवाल
सबसे बड़ा सवाल यहां ये उठता है कि जब खालिस्तान समर्थक गुरुद्वारे के बाहर जमा हो रहे थे, तो पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए क्या कदम उठाए ? दूसरा खालिस्तान के खिलाफ मार्च निकालने वाले हरीश सिंगला के खिलाफ पुलिस ने IPC की धारा 153-A (Promoting Enmity), 186 (obstructing Public Servant), 188 (Disobeying official orders) और 353 (Assault to deter public servant) के तहत केस दर्ज कर लिए हैं। लेकिन खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ केस करने के बजाए, जिसमें कई अकाली दल के स्थानीय नेता भी बताए जा रहे हैं कोई मामला दर्ज नहीं किया है। उल्टा उस हिंसा के मामलें में अज्ञात के खिलाफ IPC की धारा 307 के तहत केस दर्ज किया है।
मंदिर परिसर में तोड़फोड़ करते कई खालिस्तान समर्थक साफ-साफ देखे जा सकते हैं। लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं एक खालिस्तान समर्थक नंगी तलवार का बेजा प्रदर्शन करने में लगा है और पुलिस प्रशासन वहां तमाशबीन बन कर खड़ा है। जो इस देश के टुकड़े टुकडे करना चाहते हैं, उनके साथ पुलिस खड़ी नजर आ रही है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि खालिस्तानी मंदिर तक कैसे पहुंच गए। मंदिर परिसर में तोड़फोड़ करने से इन्हें सख्ती से क्यों नहीं रोका गया। दूसरा मां दुर्गा के प्रति अपशब्द बोलने वाले खालिस्तानी के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं करी है।
शिव सेना ने छोड़ा सिंगला साथ
शिव सेना ने हरीश सिंगला समेत कुछ कार्यकर्ताओं को पार्टी से निष्काशित कर दिया है। इसके साथ ही शिव सेना के एमपी संजय राउत ने बयान दिया है कि जो लोग शुक्रवार की हिंसा में शामिल थे। उनका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है। पंजाब ईकाई के शिव सेना अध्यक्ष योगराज शर्मा ने बताया कि पार्टी के खिलाफ गतिविधियों के चलते सिंगला को शिव सेना से निष्काशित कर दिया गया है। इसका आदेश हमें पार्टी सुप्रीमो उद्धव ठाकरे से मिला था।
मान की गाज गिरी अधिकारियों पर
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक्शन के नाम पर पटियाला रेंज के आईजी, एसएसपी और SP को हटा दिया है। सवाल ये है कि केवल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से कुछ नहीं होगा। कार्रवाई तो खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ भी होनी चाहिए जिन्हें अभी तक गिरफ्तार तक नहीं किया गया है। साथ ही पटियाला में सुबह 9:30 से शाम 6:00 बजे तक इंटरनेट बंद कर दिया है। शुक्रवार शाम 7 बजे से शनिवार सुबह 6 बजे तक जिले में कर्फ्यू लगाने के आदेश दे दिए थे।
तलवार धारण के लिए है डराने के लिए
पिछले कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि जो तलवार या कृपाण गुरु ने धारण करने के लिए या आत्मरक्षा के लिए सिखों को बक्शी थी। कुछ खालिस्तान समर्थक उसे बात बे बात दूसरे धर्म के लोगों को डराने या मारने के लिए इस्तेमाल करते हुए देखे गए हैं। चाहे वो दिल्ली के सिंघू बॉर्डर का मामला हो या पंजाब में पुलिसकर्मियों पर हमलें की घटनाएं हो। अगर ऐसी घटनाओं के खिलाफ सिख समाज खुद खड़ा नहीं हुआ तो कुछ समय बाद अन्य समुदाए के लोग खड़े हो जाएंगे या निकट भविष्य में सरकार इस पर बैन लगाने की भी सोच सकती है।