धर्म डेस्कः महाशिवरात्रि भगवान शिव से जुड़ा सबसे बड़े पर्वों में से एक है। 11 मार्च यानी गुरुवार को इस बार महाशिवरात्रि है। भारतीय तिथि अनुसार महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशीयुक्त तिथि को मनाई जाएगी। इस बार विशेष रूप से शिवयोग और सिद्धि योग बना रहेगा। मान्यता है कि इस दिन पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
पंडित दीप लाल जयपुरी ने बताया कि इस दिन शिवलिंग का पंचोपचार पूजन और रात्रि जागरण विशेष फलदायी होता है। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से कई गुना अधिक फल मिलता है। कहते हैं कि इस दिन व्रत और पूजा करने से युवतियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। निशि काल में पूजा 11 मार्च की रात 12 बजकर 15 मिनट से करीब एक बजे तक रहेगी।
महाशिवरात्रि को हुआ था भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह
धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि को हुआ था। भगवान शिव के विवाह में देव, दानव, किन्नर, गंधर्व, भूत और पिशाच भी शामिल हुए थे। इसलिए इसमें चार पहर की पूजा अधिक फलदायी होती है।
महाशिवरात्रि की पूजा का मुहूर्त
गुरुवार को प्रथम रात्रि पहरः- शाम साढ़े छह बजे से रात साढ़े नौ बजे तक।
रात्रि द्वितीय पहरः- रात साढ़े नौ बजे से साढ़े 12 बजे तक।
रात्रि तृतीय पहर 11-12 मार्चः- रात साढ़े 12 बजे से 3 बजकर 40 मिनट तक।
शिवरात्रि पारण समय 12 मार्चः- सुबह साढ़े छह बजे से शाम तीन बजे तक।
कैसे करें भगवान शिव की पूजा
शिवलिंग को गंगाजल, दूध, घी, शहद और शक्कर के मिश्रण से स्नान करवाना चाहिए। फिर चंदन लगाकर फल-फूल, बेलपत्र, धतूरा, बेर इत्यादि अर्पित करें। कहा जाता है कि इस दिन रूद्राभिषेक से कई लाभ मिलते हैं।