धर्म डेस्कः इस वर्ष होली पर दुर्लभ योग बन रहे हैं। 499 वर्ष बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि चंद्रमा, कन्या राशि में तो गुरु और शनि अपनी ही राशियों में रहेंगे। इसके चलते ध्रुव योग बन रहा है। इससे पहले 3 मार्च, 1521 को ऐसा योग बना था। वहीं, दूसरा योग भी दुर्लभ योग है जो दशकों बाद पड़ रहा है, इसके अनुसार इस बार होली पर सूर्य, ब्रह्मा और अर्यमा की साक्षी भी रहेगी।
पंडित दीप लाल जयपुरी ने बताया कि हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का त्योहार मनाया जाता है। इससे एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। वहीं जिस दिन रंग खेला जाता है, उसे धुलेंडी भी कहा जाता है। ऐसे में इस बार हिंदू पंचांग के अनुसार इस 29 मार्च को फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को है। होली इस वर्ष सर्वार्थसिद्धि योग में मनेगी, इसके साथ ही इस दिन अमृतसिद्धि योग भी रहेगा।
होली से 8 दिन पहले क्यों वर्जित हैं शादी, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य
होली से 8 दिन पहले हिंदू धर्म के अनुसार होलाष्टक लग जाता है। इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को वर्जित माना गया है। इसी कारण इस समय शादी, गृह प्रवेश समेत अन्य मांगलिक कार्य इस दौरान नहीं किए जाते हैं।
होलाष्टक और होली दहन का शुभ मुहूर्त
22 मार्च से होलाष्टक शुरु हो चुके हैं जो 28 मार्च को समाप्त होंगे। होलिका दहन रविवार 28 मार्च को होगा। होलिका दहन मुहूर्त रविवार शाम 6 बज कर 36 मिनट 38 सेकेंड से 8:56 23 सेकंड तक रहेगा। इसकी कुल अवधि 2 घंटे 19 मिनट 39 सेकंड तक रहेगी। होली के दिन पूर्णिमा तिथि 28 मार्च को सुबह 3:27 से शुरू होकर 29 मार्च को रात 12:17 तक रहेगी। होलाष्टक से प्रतिबंधित रहेंगे शुभ कार्य।
इस दिन खेली थी भगवान कृष्ण ने राधा से होली
इस वर्ष होलिका दहन 28 मार्च को किया जाएगा। रंगों की होली 29 मार्च को खेली जाएगी। फुलेरा दूजा से होली का आरंभ माना जाता है। 15 मार्च को फुलेरा दूज का पर्व था इस दिन भगवान श्रीकृष्ण राधा के साथ फुलों से खेलते हैं। मथुरा और बृज में होली का महोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
होलाष्टक में भगवान विष्णु की पूजा से मिलेगा मनचाहा फल
होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। वही खरमास भी आरंभ हो चुकें। सूर्य के मीन राशि में प्रवेश के साथ खरमास का आरंभ हो चुका है। खरमास में मांगलिक कार्यों को करना शुभ नहीं माना जाता है। होलाष्टक के दौरान पूजा पाठ का विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इस दौरान मौसम में तेजी बदलाव होता है। इसलिए अनुशासित दिनचर्या को अपनाने की सलाह दी जाती है। होलाष्टक में स्वच्छता और खानपान का उचित ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा से मनचाहा फल प्राप्त किया जा सकता है।
कैसे हुई होली मनाने की शुरुआत
मान्यता है कि विष्णु भक्त प्रहलाद को राक्षस राजा हिरण्यकश्यप की आज्ञा पर उसकी बहन और प्रहलाद की बुआ होलिका आग मैं बैठाकर मारने की कोशिश करती है। इसमें वह खुद जल जाती है। इसके नाम पर ही होलिका दहन की परंपरा आरंभ हुई। होलिका दहन समाज की बुराई के प्रतिक के तौर पर मनाया जाता है।