🔴 मुख्य बिंदु – एक नज़र में:
- पाकिस्तान का 48 घंटे का प्लान 8 घंटे में फेल
- भारत की पहली नॉन-कॉन्टैक्ट वॉर: ऑपरेशन सिंदूर
- साइबर और AI आधारित युद्ध नीति
- आतंक को पानी से जोड़कर नई सैन्य नीति
- पाकिस्तान को बातचीत के लिए झुकना पड़ा
- भारत अब डेटा-सेंट्रिक और प्रोफेशनल फोर्स

नेशनल डेस्क: भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने एक बड़ा बयान देते हुए बताया कि पाकिस्तान ने 10 मई को रात 1 बजे भारत को 48 घंटों में “घुटनों पर लाने” की योजना बनाई थी। लेकिन उनकी यह योजना महज़ 8 घंटे में ही धराशायी हो गई।
जनरल चौहान ने कहा, “उन्होंने सोचा था कि 48 घंटे में भारत को घुटने टेकने पर मजबूर कर देंगे, लेकिन उनका ऑपरेशन महज़ 8 घंटे में खत्म हो गया। फिर खुद ही फोन उठाया और बातचीत की बात करने लगे।”
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की पहली ‘नॉन-कॉन्टैक्ट वॉर’
CDS चौहान ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर भारत का पहला ऐसा सैन्य अभियान था जिसमें पारंपरिक युद्ध के साथ-साथ साइबर और सूचना युद्ध का भी उपयोग किया गया। उन्होंने कहा, “हमने दुश्मन को आमने-सामने नहीं देखा, उन्हें रडार और दूरी से ट्रैक किया गया। यह युद्ध ‘नॉन-लाइनियर’ था — LOC पर कुछ और हो रहा था और सरगोधा तक कुछ और।”
इस ऑपरेशन के तहत भारत ने AI आधारित प्रेडिक्टिव एनालिसिस, नेटवर्क-संचालित एयर डिफेंस सिस्टम और काउंटर-ड्रोन तकनीकों का उपयोग किया।
“हमने बार बढ़ा दी, अब आतंक के खिलाफ कार्रवाई होगी”
CDS ने स्पष्ट किया कि भारत ने अब नई नीति बना ली है — आतंकवाद और सैन्य जवाबदेही को जोड़ा गया है। उन्होंने कहा,
“अब अगर भारत के खिलाफ आतंक फैलाने की कोशिश की गई, तो सैन्य कार्रवाई निश्चित होगी।”
उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद बातचीत की गुहार लगाई, लेकिन भारत ने तुरंत स्वीकार नहीं किया। जब पाकिस्तान को अहसास हुआ कि भारत डेटा, तकनीक और रणनीति में काफी आगे निकल गया है, तब उन्होंने बैकफुट लिया।
“नुकसान नहीं, परिणाम ज़रूरी है”
CDS ने यह भी कहा कि किसी भी ऑपरेशन में क्षति महत्वपूर्ण नहीं होती, परिणाम महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने क्रिकेट के उदाहरण से समझाया — “टेस्ट मैच में अगर कोई टीम एक पारी से जीत जाए, तो कोई नहीं पूछता कितने बॉल खेले गए।”
CDS की चेतावनी: पानी और आतंक अब एक साथ जुड़े हैं
जनरल चौहान ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि अब भारत ने पानी और आतंकवाद को जोड़ दिया है — “अब आतंक का मतलब है पानी पर असर, और इस नीति को लेकर भारत पीछे नहीं हटेगा।”
उन्होंने ये बातें पुणे विश्वविद्यालय के डिफेंस स्टडीज़ विभाग द्वारा आयोजित “Future of War and Warfare” विषय पर विशेष व्याख्यान के दौरान कहीं।