दोस्ती का मैं तुझे क्या पैगाम दूँ,
तू समझता है मुझे, मैं तुझे क्या इनाम दूँ,
सारी दुनिया वो देखती, जो दीखता हूँ
इक तू ही हैं जो मैं हूँ, वो मैं हूँ।।
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