हिंदी, हिंदू और हिंदुस्तान के विरोध पर पनपता सेकुलरवाद

मेरी बात

विचार डेस्कः वामपंथी इस देश का कोढ़ है। कोढ़ जहां पनपता है उसी को गला-सढ़ा देता है। आजादी के वक्त इस कोढ़ के जिम्मे देश को शिक्षित करने की बागडोर आ गई। वहां, हमारे इतिहास को कोरी कल्पना बताया गया और कल्पना को इतिहास। उसके बाद इन्होंने बॉलीवुड में पकड़ बनाई। वहां, वापंथियों ने बनाए अपने इतिहास को सिनेमा और बुकों के माध्यम से बताना शुरू किया। फिर मीडिया में पैठ बनाई। अब इन तीन क्षेत्रों में काम कर रहे वामपंथियों के ठगबंधन को समझिए।
पाकिस्तान और चीन के खाद पर पलने वाले इन वामपंथियों के बनाए इतिहास का विरोध हुआ तो मीडिया में बैठा वामपंथी सिनेमा वाले वामपंथी के समर्थन में लेख लिखने लगा। राजनीति का वामपंथी उसे प्रसाशनिक मदद देने लगा और जिसने गलत इतिहास या बात का विरोध किया, उसे पुरानपंथी और कट्टर साबित करना शुरू कर दिया। पिछले 70 वर्षों में ये इसी योजना से काम कर रहे हैं। ये लोग सेकुलर का चौला पहन हिंदी, हिंदू और हिंदुस्तान का मजाक बनाते हैं। हिंदी, हिंदू और हिंदुस्तान के विरोध पर पनता इनका सेकुलरवाद अभिव्यक्ति के नाम पर भारत की संस्कृति, महापुरुषों को घटिया साबित करने में लगे रहता है। तांडव वेब सीरीज उसका एक और नमुना है। इसमें उसी वामपंथी एजेंडे को आगे बढ़ाया गया है, ताकि नई पीढ़ी के कोरे मन पर अपनी घटिया सोच की छाप छोड़ सकें। पहले इन्होंने सिनेमा के जरीये हिंदू समाज में जाति की खाई को गहरा किया। इन्होंने सिनेमा में ठाकुर को अत्याचारी, ब्राम्हण को पौंगा, वैश्य को लालची और शुद्र को इनके अत्याचार से पीड़ित दिखाया। क्योंकि इनका एजेंडा साफ है कि शुद्र को हिंदू समाज से काटना। इसके लिए मीम-भीम एकता का प्रपंच भी रचा गया। अब इन्होंने हिंदुओं के देवी-देवताओं पर मजाक बनाना शुरू कर दिया है।

इसी कड़ी में वेब सीरीज तांडव में भगवान शिव के मुंह से ‘वॉट द फक’ कहते दिखाया गया है जो सोशल मीडिया पर विष्णु भगवान की लोकप्रियता से घबराए हुए हैं। इस वेब सीरीज में अधिकतर एक्टर और डायरेक्टर भी उसी वामपंथी सोच के हैं इसलिए वे उसी घटिया सोच को आगे बढ़ा रहे हैं। लेकिन यहां सवाल उठता है कि ये लोग कब तक हिंदू समाज के धैर्य की परीक्षा लेंगे। क्या हिंदू समाज भी इनकी गर्दने धड से अलग करनी शुरू कर दें? तो क्या सेकुलर कीड़े हमारी भी ऐसे ही पैरवी करेंगे जैसे फ्रांस में पैगम्बर की तस्वीर दिखाने पर किया था। नहीं, तब ये वामपंथी हिंदू आतंकवाद को लेकर पूरी दुनिया में रोदाली गान करेंगे। क्योंकि ये तो श्रीराम और माता सीता के प्रति अपशब्द कहने वाले मुव्वर फारुकी की पीटाई को भी आंतकी घटना बोल रहे थे। एक बार नहीं अनेक बार इन वामपंथी धड़ों से जुड़े लोग हिंदू भगवानों, संस्कृति और महापुरुषो का मजाक बनाते हैं और खेद कह कर बच निकलते हैं। क्योंकि इन्हें पता है कुछ होने वाला नहीं है। हद से हद एक-दो एफआईआर होंगी। दो-चार जगहों पर प्रदर्शन होंगे। फिर मामला शांत हो जाएगा। ऐसा ही कुछ वर्ष 2014 से पहले पाकिस्तान को लगता था कि भारत में आतंकी घटना करो। जवाब में भारत कड़ी निंदा करेगा। लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक ने पाकिस्तान की ये सोच बदल दी है। अंत में यहीं कहुंगा कि ऐसी ही स्ट्राइक इन वामपंथी कलाकारों और डायरेक्टरों पर करनी पड़ेगी। तब जाकर इनकी सोच बदलेगी।

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