प्रयागराज डेस्क: सूबे की महिलाओं और बालिकाओं के सपनों को पंख देने का काम सरकार द्वारा चलाई जा रहीं विभिन्न योजनायें कर रहीं हैं। बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए जहाँ मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाएं चलायी जा रहीं हैं, वहीँ महिलाओं के लिए पति की मृत्यु के बाद निराश्रित महिला पेंशन और वन स्टाप सेंटर योजना चल रही हैं। इसके साथ ही किसी भी मुसीबत में घर बैठे हेल्पलाइन के जरिये तत्काल राहत पहुंचाने का भी काम चल रहा है। निदेशक महिला कल्याण व मिशन शक्ति के नोडल अधिकारी मनोज कुमार राय का कहना है कि मिशन शक्ति अभियान के जरिये अब इन योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी तेजी से हो रहा है, जिससे ज्यादा से ज्यादा महिलाएं और बालिकाएं इन योजनाओं का लाभ उठा सकें।
मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना :
सूबे में समान लिंगानुपात व कन्या भ्रूण हत्या को रोकने, बालिकाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा को सुदृढ़ करने, बालिका के परिवार को आर्थिक मदद और बालिका के प्रति आमजन की सोच में बदलाव लाने के लिए मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना मार्च 2019 में शुरू हुई। योजना का लाभ पाने के लिए उत्तर प्रदेश का निवासी होना चाहिए, परिवार में अधिकतम दो बच्चे हों और वार्षिक आय तीन लाख से कम हो । योजना के तहत बालिका के जन्म पर 2000 रूपये, एक साल का टीकाकरण पूर्ण होने पर 1000 रूपये, कक्षा-1 में प्रवेश के समय 2000 रूपये, कक्षा-6 में प्रवेश के समय 2000 रूपये, कक्षा-9 में प्रवेश के समय 3000 रूपये और 10वीं/12वीं परीक्षा उत्तीर्ण कर डिग्री या दो वर्षीय या अधिक डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लेने पर 5000 रूपये एकमुश्त सीधे बैंक खाते में दिए जाते हैं। अब तक लगभग पांच लाख बालिकाओं को इस योजना से लाभान्वित किया गया है।
181-महिला हेल्पलाइन तथा वन स्टॉप सेन्टर
महिलाओं, बालिकाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए टोल फ्री नम्बर – 181 जारी किया गया है। इस पर किसी भी वक्त मुसीबत में मदद ली जा सकती है। इसका केन्द्रीयकृत कॉल सेंटर लखनऊ में संचालित होता है। हेल्पलाइन पर मौजूद प्रशिक्षित परामर्शदाता समस्या के समाधान को हर वक्त मुस्तैद रहते हैं। वर्ष 2019-20 में 1.23 लाख महिलाओं को इसके जरिये मदद पहुंचाई गयी। 181 महिला हेल्पलाइन में प्राप्त प्रकरणों को भोतिक सहायता केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित वन स्टाप सेंटर के माध्यम से पहुंॅचाई जाती है। योजना की शुरुआत वर्ष 2016-17 में की गयी । इस योजना का उदेश्य हिंसा से पीड़ित महिलाओं को मदद पहुंचाना है। इसके तहत एक ही छत के नीचे महिलाओं तथा बालिकाओं को पांच दिवसीय प्रवास, चिकित्सीय सहायता, परामर्श, विधिक सहायता और पुलिस की मदद पहुंचाई जाती है। प्रदेश के सभी जिलों में यह सेंटर काम कर रहे हैं। वर्ष 2019-20 में इन सेंटरों पर करीब 15,000 महिलाओं के मामले सामने आये, जिसमें महिलाओं की हरसंभव मदद की गयी ।
बाल संरक्षण सेवाएं
केंद्र सरकार के सहयोग से किशोर न्याय (बालकों की देखरेख व संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत विधि विरुद्ध कार्यों में लिप्त बच्चों के संरक्षण, कल्याण एवं पुनःस्थापन के लिए राज्य सरकार द्वारा बाल संरक्षण सेवाएं योजना चल रही है। इसके तहत 51 राजकीय संस्थाएं चल रहीं हैं जिनमें 26 राजकीय सम्प्रेक्षण गृह, आठ बाल गृह (बालक), चार बाल गृह (बालिका), पांच बाल गृह (शिशु), दो विशेष गृह, एक प्लेस ऑफ सेफ्टी, पांच पश्चातवर्ती देखरेख संगठन शामिल हैं। मार्च 2020 में शासकीय एवं सहायता प्राप्त संस्थाओं में 4261 बालक निवासित थे। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 271 बालकों को दत्तक ग्रहण के माध्यम से पुनर्वासित किया गया है और अपने परिवार से बिछड़े 6800 बालकों को उनके परिवार से मिलाया गया। योजना के अंर्तगत विभाग द्वारा किशोर-किशोरियों को रोजगारपरक कौशल प्रशिक्षणों से जोड़ते उन्हें स्वावलंबी बनाने के प्रयास जारी हैं। लगभग 1000 किशोर-किशोरियों को इससे लाभान्वित किया गया है। प्रदेश कर बाल सुरक्षा कैडर को निमहँस बंगलोर से विशेष कैप्सूल प्रशिक्षण फिलय जा रहा है।
पति की मृत्यु के बाद निराश्रित महिला पेंशन योजना :
पति की मृत्यु के बाद निराश्रित महिलाओं को 500 रूपये प्रतिमाह की दर से चार तिमाही में पेंशन का भुगतान पीएफएमएस के माध्यम से किया जाता है। इसके लिए उत्तर प्रदेश का निवासी होन चाहिए और वार्षिक आय दो लाख रूपये से अधिक न हो। इस वित्तीय वर्ष 2020-21 में 27.40 लाख महिलाओं को लाभान्वित किया गया है। उक्त के अंर्तगत विभाग द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के माध्यम से समस्त लाभार्थियों को रू1000/- अतिरिक्त आर्थिक सहायता के रूप में भुगतान किया गया है।
बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ तथा महिला शक्ति केन्द्र योजना
गिरते लिंगानुपात में सुधार लाने, बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने और बालिका के प्रति आमजन में सकारात्मक सोच लाने के लिए प्रदेश के 68 जिलों में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ तथा महिला शक्ति केन्द्र योजना संचालित है। इसके तहत नाटकध्नुक्कड़, बैनर, पोस्टर, वाल राइटिंग, जनसभा, रेडियो जिंगल व अन्य प्रतियोगिताओं और समारोहों के माध्यम से जनमानस में जागरूकता फैलाई जा रही है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में जनपदों द्वारा उपलब्ध 17.32 करोड़ के सापेक्ष 9.79 करोड़ रूपये व्यय किये गए हैं। महिला शक्ति केन्द्रों योजना महिलाओं को अपने अधिकार प्राप्त करने, जागरूकता, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाने हेतु सरकार से सम्पर्क करने के लिये इंटरफेस प्रदान करती है ।
रानी लक्ष्मीबाई बाल एवं महिला सम्मान कोष :
महिलाओं व बालिकाओं के विरूद्ध होने वाले जघन्य अपराधों से पीड़ित महिलाओं के प्रति प्रदेश सरकार अत्यंत संवेदनशील है। कोष के अंर्तगत जघन्य अपराध से पीडित महिलाओं व बालिकाओं को 1 लाख से 10 लाख रूपये की आर्थिक क्षतिपूर्ति प्रदान की जाती है। सााि ही निशुल्क चिकित्सा सुविधा का भी प्रावधान किया गया है। योजना के अंर्तगत कुल 4937 महिलाओं तथा बालिकाओं को आर्थिक सहायता दी गई है।
मिशन शक्ति अभियान :
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा ‘मिशन शक्ति’ के अंर्तगत 180 दिवसों की कार्ययोजना का शासनादेश समस्त जनपदों तथा संबंधित विभागों को प्रेषित किया गया है। विभाग द्वारा मुख्यालय स्तर से समस्त जनपदों को महिलाओं तथा बच्चों के प्रति हिंसा से रोकथाम, संबंधित कानूनों सहित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं पर ‘विषय सामग्री’ तैयार कर प्रेषित की गई है, साथ ही समस्त जनपदों को विभिन्न विषयों पर आडियो/वीडियो सन्देश, मूवी आदि प्रेषित की गई हैं। समस्त जनपद उक्त के माध्यम से ही प्रतिदिन गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं । विभाग अभी तक पाँच करोड लोगों को विभिन्न विषयों पर जागरूक कर चुका है। विभाग द्वारा विशेष रूप से महिलाओं तथा बच्चों के मानसिक व मनोसामाजिक स्वास्थ्य विषय पर निमहँस बेंगलुरु से टीम का प्रशिक्षण कराते हुए प्रदेश में जागरूकता लायी जा रही है ।