नारों में सिमटा ‘बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओं’ अभियान

मेरी बात

हम बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओं का खूब नारा लगाते हैं पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बिहार के बेगूसराय की घटना जिसमें स्कूल की दो छोटी बच्चियों की ड़्रेस उतरवाकर उन्हें अंड़रगार्मेंटस में ही घर भेज दिया गया, क्योंकि गरीब पिता ने यूनिफॉर्म की राशि समय पर जमा नहीं कराई। इस तरह की घटना आज के आधुनिक समाज पर एक जोरदार तमाचा है जो यह समझाने के लिए काफी है कि जमीन पर अभी काफी कुछ करना बाकी है। हालांकि इस घटना के आरोपी प्रिंसिपल और टीचर को गिरफ्तार कर लिया गया है और बिहार राज्य शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने घटना की निंदा की है और जांच के बाद दोषियों को सजा की बात भी कही है। पर क्या वह इस बात का आश्वासन दे सकते है कि ऐसी घटना बिहार में फिर नहीं घटेगी? शिक्षा तंत्र की खामियों को लेकर बिहार पिछले दो साल से सुर्खियों में बना हुआ है। अगर एक्शन की बात करें तो एक्शन के नाम पर सिर्फ जांच का आश्वासन है। केंद्र सरकार भी शिक्षा बजट में केवल मामूली बढ़त की है जो भारत जैसे देश में केवल ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। समाज को आगे बढ़ाने में जो सबसे बड़ा हथियार बन सकता है, वह है शिक्षा। अगर हम नौ लाख करोड़ रूपये बिजनेस हाउस का माफ करते है, तो क्यों नहीं हम एक ऐसा तंत्र विकसित कर सकते, जिसमें जीवन की बुनियादी चीजों को गरीबो के लिए मुफ्त कर दें जैसे शिक्षा और चिकित्सा। ताकि भारत का कोई भी नागरिक इनके अभाव में अपना जीवन न गवाएं।   
support सहयोग करें

प्रजातंत्र एक राष्ट्रवादी न्यूज पोर्टल है। वामपंथी और देश विरोधी मीडिया के पास फंड की कोई कमी नहीं है। इन ताकतों से लड़ने के लिए अपनी क्षमता अनुसार हमारा सहयोग करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *