गम का दौर है यारो
थोड़ा सब्र करो,
दिलों में आग है
थोड़ा सब्र करो,
दिलों में आग है
थोड़ा सब्र करो,
ये वक्त नहीं है बस आँसू बहाने का
हलचल से भी दुश्मन ख़ौफ़ में है
थोड़ा सब्र करो,
तोपें, बंदूकें, टैंक सब तैयार हैं
अबके अमन की आशा नहीं होगी
थोड़ा सब्र करो,
घायल शेरों से वक्त नहीं पूछा करते
दुश्मन को जी लेने दो और दो दिन
थोड़ा सब्र करो,
इस बार सिर्फ प्यादों पर वार नहीं होगा
सीधे आकाओं को दफ़नाएँगे
ये जवानों की है योजना
थोड़ा सब्र करो।।